"बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ! / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर
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+ | प्रलय में मेरा पता पदचिन्ह जीवन में, | ||
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+ | कूल भी हूँ कूलहीन प्रवाहिनी भी हूँ! | ||
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− | + | हूँ वही प्रतिबिम्ब जो आधार के उर में; | |
− | + | नील घन भी हूँ सुनहली दामिनी भी हूँ! | |
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− | + | तार भी आघात भी झंकार की गति भी | |
− | + | पात्र भी मधु भी मधुप भी मधुर विस्मृत भी हूँ; | |
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− | नाश भी हूँ मैं अनन्त विकास का क्रम भी, | + | |
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22:08, 11 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ!
नींद थी मेरी अचल निस्पन्द कण कण में,
प्रथम जागृति थी जगत के प्रथम स्पन्दन में,
प्रलय में मेरा पता पदचिन्ह जीवन में,
शाप हूँ जो बन गया वरदान बन्धन में,
कूल भी हूँ कूलहीन प्रवाहिनी भी हूँ!
नयन में जिसके जलद वह तुषित चातक हूँ,
शलभ जिसके प्राण में वह ठिठुर दीपक हूँ,
फूल को उर में छिपाये विकल बुलबुल हूँ,
एक हो कर दूर तन से छाँह वह चल हूँ;
दूर तुमसे हूँ अखण्ड सुहागिनी भी हूँ!
आग हूँ जिससे ढुलकते बिन्दु हिमजल के,
शून्य हूँ जिसको बिछे हैं पाँवड़े पल के,
पुलक हूँ वह जो पला है कठिन प्रस्तर में,
हूँ वही प्रतिबिम्ब जो आधार के उर में;
नील घन भी हूँ सुनहली दामिनी भी हूँ!
नाश भी हूँ मैं अनन्त विकास का क्रम भी,
त्याग का दिन भी चरम आसक्ति का तम भी
तार भी आघात भी झंकार की गति भी
पात्र भी मधु भी मधुप भी मधुर विस्मृत भी हूँ;
अधर भी हूँ और स्मित की चाँदनी भी हूँ!