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"एक जलती-बुझती ख़ुशी / वीरेन डंगवाल" के अवतरणों में अंतर

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जैसे तारों की टिमक
 
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जैसे ब्याह वाला घर
 
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जैसे फूट पड़ते फ़व्वारे का उल्लास
 
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जैसे एक निराशा घनघोर
 
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::मैं आजिज़ आ चुका हूँ इससे
 
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::मुझे यह और चाहिए ।
 
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17:08, 11 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण

जैसे तारों की टिमक
जैसे ब्याह वाला घर
जैसे फूट पड़ते फ़व्वारे का उल्लास
जैसे एक निराशा घनघोर
मैं आजिज़ आ चुका हूँ इससे
मुझे यह और चाहिए ।