भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आली मनमोहन के मारै / ईसुरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ईसुरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} {{KKCatBu...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
+
{{KKLokRachna
 +
|भाषा=बुन्देली
 
|रचनाकार=ईसुरी
 
|रचनाकार=ईसुरी
|अनुवादक=
 
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}

16:33, 1 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण

आली मनमोहन के मारै।
जमना गैल बिसारें।
जब देखो तब खड़े कुंज में।
गहें कदम की डारैं।
जो कोऊ भूल जात है रास्ता
बरबस आन बिठारैं।
जादौं नई हँसी काऊसों।
जा नइ रीत हमारैं।
ईसुर कौन चाल अब चलिये,
जे तो पूरौ पारें।