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20:09, 17 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण
दरशन दीजो आय प्यारे तुम बिनो रह्यो ना जाय ॥
जल बिनु कमल चंद्र बिनु रजनी वैसे तुम देखे बिनु सजनी ।
आकुल व्याकुल फिरूं रैन दिन विरह कलेजो खाय ॥
दिवस न भूख नींद नहीं रैना मुख सों कहत न आवे बैना ।
कहा कहूँ कछु समुझि न आवे मिल कर तपत बुझाय ॥
क्यूं तरसाओ अंतरयामी आय मिलो किरपा करो स्वामी ।
मीरा दासी जनम जनम की पड़ी तुम्हारे पाय ॥