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"प्रभु हम पे कृपा करना / भजन" के अवतरणों में अंतर
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वैकुण्ठ तो यहीं है इसमें ही रहा करना ॥<br><br> | वैकुण्ठ तो यहीं है इसमें ही रहा करना ॥<br><br> |
20:12, 17 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण
प्रभु हम पे कृपा करना प्रभु हम पे दया करना ।
वैकुण्ठ तो यहीं है इसमें ही रहा करना ॥
हम मोर बन के मोहन नाचा करेंगे वन में ।
तुम श्याम घटा बनकर उस बन में उड़ा करना ॥
होकर के हम पपीहा पी पी रटा करेंगे ।
तुम स्वाति बूंद बनकर प्यासे पे दया करना ॥
हम राधेश्याम जग में तुमको ही निहारेंगे ।
तुम दिव्य ज्योति बन कर नैनों में बसा करना ॥