"तुम्हारी छुअन / लोकमित्र गौतम" के अवतरणों में अंतर
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कल मेरी कमीज की उलझी हुई कालर को | कल मेरी कमीज की उलझी हुई कालर को | ||
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अगर मैंने करार तोड़ दिया | अगर मैंने करार तोड़ दिया | ||
तो मुझे तुम्हारी अगली छुअनें कुछ नहीं बतायेंगी | तो मुझे तुम्हारी अगली छुअनें कुछ नहीं बतायेंगी | ||
− | + | फिर मैं किसके साथ आसमान में उड़ूगा | |
हवाओं में महकूँगा | हवाओं में महकूँगा | ||
− | + | कैनवास में बिखरूंगा | |
और नाक से नाक भिड़ाकर | और नाक से नाक भिड़ाकर | ||
मुठभेड़ करूंगा | मुठभेड़ करूंगा |
18:34, 13 जुलाई 2015 के समय का अवतरण
पता है
कल मेरी कमीज की उलझी हुई कालर को
सतर करते हुए
तुमने जो टांक दी थी
अपनी अंगुलियों की एक छुअन
वह पूरे दिन मेरे साथ रही
हम दोनो ने खूब बातें की
मौसम की
कुदरत की
जमाने की
...और तुम्हारी भी
लेकिन क्या बातें हुई मैं तुम्हें कुछ नहीं बताऊंगा
हम दोनो के बीच एक करार हुआ है
यह मेरे भी फायदे में है
क्योंकि मुझे तुम्हारी और छुअनों का
बेसब्री से इंतजार है
अगर मैंने करार तोड़ दिया
तो मुझे तुम्हारी अगली छुअनें कुछ नहीं बतायेंगी
फिर मैं किसके साथ आसमान में उड़ूगा
हवाओं में महकूँगा
कैनवास में बिखरूंगा
और नाक से नाक भिड़ाकर
मुठभेड़ करूंगा
मैं यह करार तोड़कर अपनी दुनिया नहीं उजाडू़ंगा
पता है तुम्हारी छुअनों से ही मैंने जाना
धरती वाकई गोल है
हर अपनत्व में एक मां होती है
और हर नजाकत में एक प्रेमिका
तुम्हारी छुअनों से ही मैंने जाना
लोहा, लोहा होता है
वह नया या पुराना नहीं होता
उसे जब भी आंच दिखाओगे
वह गर्म होगा
वह लाल होगा
और गर्म लोहे को तुम
किसी भी सांचे में ढाल सकती हो
तुम्हारी छुअनों से ही मैंने जाना...