भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कर्पूर गौरम करूणावतारम / श्लोक" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) छो (श्लोक / श्लोक moved to कर्पूर गौरम करूणावतारम / श्लोक) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | <poem>कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। | |
− | + | सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।। | |
− | + | ||
− | + | ||
− | सदा | + | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
मंगलम भगवान् विष्णु | मंगलम भगवान् विष्णु | ||
− | |||
मंगलम गरुड़ध्वजः | | मंगलम गरुड़ध्वजः | | ||
− | |||
मंगलम पुन्डरी काक्षो | मंगलम पुन्डरी काक्षो | ||
− | |||
मंगलायतनो हरि || | मंगलायतनो हरि || | ||
− | + | सर्व मंगल मांग्लयै शिवे सर्वार्थ साधिके | | |
− | सर्व मंगल मांग्लयै | + | शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते || |
− | + | ||
− | शिवे सर्वार्थ साधिके | | + | |
− | + | ||
− | शरण्ये त्रयम्बके गौरी | + | |
− | + | ||
− | नारायणी नमोस्तुते || | + | |
− | + | ||
त्वमेव माता च पिता त्वमेव | त्वमेव माता च पिता त्वमेव | ||
− | |||
त्वमेव बंधू च सखा त्वमेव | त्वमेव बंधू च सखा त्वमेव | ||
− | |||
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव | त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव | ||
− | |||
त्वमेव सर्वं मम देव देव | त्वमेव सर्वं मम देव देव | ||
− | |||
कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा | कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा | ||
− | |||
बुध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात | बुध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात | ||
− | |||
करोमि यध्य्त सकलं परस्मै | करोमि यध्य्त सकलं परस्मै | ||
− | |||
नारायणायेति समर्पयामि || | नारायणायेति समर्पयामि || | ||
− | |||
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे | श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे | ||
− | |||
हे नाथ नारायण वासुदेव | | हे नाथ नारायण वासुदेव | | ||
− | |||
जिब्हे पिबस्व अमृतं एत देव | जिब्हे पिबस्व अमृतं एत देव | ||
− | |||
गोविन्द दामोदर माधवेती || | गोविन्द दामोदर माधवेती || | ||
+ | </poem> |
23:16, 15 अगस्त 2020 के समय का अवतरण
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।
मंगलम भगवान् विष्णु
मंगलम गरुड़ध्वजः |
मंगलम पुन्डरी काक्षो
मंगलायतनो हरि ||
सर्व मंगल मांग्लयै शिवे सर्वार्थ साधिके |
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ||
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बंधू च सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देव देव
कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा
बुध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात
करोमि यध्य्त सकलं परस्मै
नारायणायेति समर्पयामि ||
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे
हे नाथ नारायण वासुदेव |
जिब्हे पिबस्व अमृतं एत देव
गोविन्द दामोदर माधवेती ||