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"पावस - 13 / प्रेमघन" के अवतरणों में अंतर
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::लौं झरि बुन्दन की बरसावत॥ | ::लौं झरि बुन्दन की बरसावत॥ | ||
देखिये तो घन प्रेम भरे, | देखिये तो घन प्रेम भरे, | ||
− | प्रजा पुंज से मोर हैं सोर मचावत। | + | ::प्रजा पुंज से मोर हैं सोर मचावत। |
आज जहाज चढ़े महराज, | आज जहाज चढ़े महराज, | ||
::मनोज मनो घन पैं चढ़े आवत॥ | ::मनोज मनो घन पैं चढ़े आवत॥ | ||
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12:56, 22 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण
बक पाँति पताका उड़ै नभ सिन्धु में,
चाँप सुरेस धरे छवि छाजत।
जाचक चातक तोपत मोतिन
लौं झरि बुन्दन की बरसावत॥
देखिये तो घन प्रेम भरे,
प्रजा पुंज से मोर हैं सोर मचावत।
आज जहाज चढ़े महराज,
मनोज मनो घन पैं चढ़े आवत॥