"आदिवासी / गायत्रीबाला पंडा / शंकरलाल पुरोहित" के अवतरणों में अंतर
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तुम्हारे सिर पर फरफर | तुम्हारे सिर पर फरफर | ||
− | पताका | + | पताका उड़ती है जब |
− | धरती पर खड़े | + | धरती पर खड़े हो्कर |
क्या सोचते हो तुम | क्या सोचते हो तुम | ||
− | देश के बारे में! | + | देश के बारे में ! |
− | फरफर | + | फरफर पताकाएँ उड़ती हैं |
− | हो कोई | + | चाहे हो कोई भी उत्सव का |
जैसे छब्बीस जनवरी | जैसे छब्बीस जनवरी | ||
− | या | + | या पन्द्रह अगस्त |
− | + | स्वाधीनता का जो अर्थ तुम समझते हो | |
− | अर्थ | + | जो अर्थ गणतन्त्र का |
− | हम नहीं समझते, समझ नहीं | + | हम नहीं समझते, समझ नहीं पाते । |
− | इतना मान होता तब तो! | + | इतना मान होता तब तो ! |
− | + | झुककर साल के पत्ते | |
चुगते समय | चुगते समय | ||
− | + | कन्धे पर बच्चा झुला | |
पहाड़ चढ़ते समय | पहाड़ चढ़ते समय | ||
कपड़े उतार झरने में | कपड़े उतार झरने में | ||
पंक्ति 32: | पंक्ति 32: | ||
झपटते समय | झपटते समय | ||
तुम्हारे हाई पिक्सेल कैमरे में | तुम्हारे हाई पिक्सेल कैमरे में | ||
− | जो हमारे | + | जो हमारे फ़ोटो उठा लेते |
कौशल से | कौशल से | ||
− | उसका भाव कितना देश-विदेश में | + | उसका भाव कितना देश-विदेश में |
− | जानना कोई काम नहीं आता | + | जानना कोई काम नहीं आता हमारे । |
− | फोटो झूलती बधाई | + | |
+ | फोटो झूलती बधाई होकर | ||
तुम्हारी बैठक में, | तुम्हारी बैठक में, | ||
− | होटल में, | + | होटल में, ऑफ़िस में, |
होर्डिंग बन एयरपोर्ट पर | होर्डिंग बन एयरपोर्ट पर | ||
− | और | + | और राजमार्ग पर। |
− | हमारे | + | हमारे फ़ोटो, हम देख नहीं पाते |
− | कभी | + | कभी भी । |
जैसे देश हमारा | जैसे देश हमारा | ||
− | पता नहीं कहाँ | + | पता नहीं कहाँ है मानचित्र में । |
− | हमारे लिए देश कहने | + | हमारे लिए देश कहने का अर्थ है |
− | केवड़ा, | + | केवड़ा, तेन्दू, साल, महुवा |
− | हमारे लिए देश कहने | + | हमारे लिए देश कहने ्का मतलब है |
− | झरने का पानी, डूमा, डूँगर, | + | झरने का पानी, डूमा, डूँगर, |
− | पेड़ का कोटर, जड़ी मूली, कुरई के | + | ’देश’ कहने पर हम समझते हैं |
+ | पेड़ का कोटर, जड़ी मूली, कुरई के फूल । | ||
देश तुम्हारा, पताका बन | देश तुम्हारा, पताका बन | ||
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आँखें चुँधिया देते समय | आँखें चुँधिया देते समय | ||
हम ढूँढ़ने निकलते स्वयं को | हम ढूँढ़ने निकलते स्वयं को | ||
− | जंगल | + | जंगल में । |
− | देश तुम्हारा भव्य एम ओ यू | + | देश तुम्हारा होता भव्य एम ओ यू |
फाइल में लटकते समय | फाइल में लटकते समय | ||
जीवन लटका होता हमारा | जीवन लटका होता हमारा | ||
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आप सभ्य समाज के आधिवासी | आप सभ्य समाज के आधिवासी | ||
− | हम हैं आदिम अधम | + | हम हैं आदिम अधम आदिवासी । |
− | सच कहेंगे ज्ञान ही नत्थीपत्र | + | सच कहेंगे ज्ञान ही नत्थीपत्र में । |
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+ | '''मूल ओड़िया भाषासे अनुवाद : शंकरलाल पुरोहित''' | ||
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21:01, 19 फ़रवरी 2025 के समय का अवतरण
तुम्हारे सिर पर फरफर
पताका उड़ती है जब
धरती पर खड़े हो्कर
क्या सोचते हो तुम
देश के बारे में !
फरफर पताकाएँ उड़ती हैं
चाहे हो कोई भी उत्सव का
जैसे छब्बीस जनवरी
या पन्द्रह अगस्त
स्वाधीनता का जो अर्थ तुम समझते हो
जो अर्थ गणतन्त्र का
हम नहीं समझते, समझ नहीं पाते ।
इतना मान होता तब तो !
झुककर साल के पत्ते
चुगते समय
कन्धे पर बच्चा झुला
पहाड़ चढ़ते समय
कपड़े उतार झरने में
नहाते समय
भर पेट हँड़िया पी
माताल हो नाचते समय
शिकार के पीछे बिजली-सा
झपटते समय
तुम्हारे हाई पिक्सेल कैमरे में
जो हमारे फ़ोटो उठा लेते
कौशल से
उसका भाव कितना देश-विदेश में
जानना कोई काम नहीं आता हमारे ।
फोटो झूलती बधाई होकर
तुम्हारी बैठक में,
होटल में, ऑफ़िस में,
होर्डिंग बन एयरपोर्ट पर
और राजमार्ग पर।
हमारे फ़ोटो, हम देख नहीं पाते
कभी भी ।
जैसे देश हमारा
पता नहीं कहाँ है मानचित्र में ।
हमारे लिए देश कहने का अर्थ है
केवड़ा, तेन्दू, साल, महुवा
हमारे लिए देश कहने ्का मतलब है
झरने का पानी, डूमा, डूँगर,
’देश’ कहने पर हम समझते हैं
पेड़ का कोटर, जड़ी मूली, कुरई के फूल ।
देश तुम्हारा, पताका बन
तुम्हारे सिर पर
फर फर उड़ते समय
हमारे सिर पर
चक्कर काट रहे गीधों का दल।
देश तुम्हारा जन-गण-मन हो
चोखा सुर होते समय
हम भागते-फिरते हाँफते
बाघ के पीछे, जो
झाँप लेता हमारा आहार।
देश तुम्हारा बत्तीस बाई पच्चीस की होर्डिंग में
आँखें चुँधिया देते समय
हम ढूँढ़ने निकलते स्वयं को
जंगल में ।
देश तुम्हारा होता भव्य एम ओ यू
फाइल में लटकते समय
जीवन लटका होता हमारा
कभी सूखी आम की गुठली में
तो कभी पके तेंदू के टुकड़े पर।
आप सभ्य समाज के आधिवासी
हम हैं आदिम अधम आदिवासी ।
सच कहेंगे ज्ञान ही नत्थीपत्र में ।
मूल ओड़िया भाषासे अनुवाद : शंकरलाल पुरोहित