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"तुम मिलती हो / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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तुम मिलती हो
 
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हरे पेड़ को जैसे मिलती धूप,
 
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आँचल खोले,
 
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::सहज
 
::सहज
 
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::स्वरूप।
::स्वरूप ।
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12:23, 1 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण

 
तुम मिलती हो
हरे पेड़ को जैसे मिलती धूप,
आँचल खोले,
सहज
स्वरूप।