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"खतरे में है बचपन / जयप्रकाश मानस" के अवतरणों में अंतर
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विदेशी आक्रमणकारी की भाँति | विदेशी आक्रमणकारी की भाँति | ||
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लालची जादूगर ने | लालची जादूगर ने | ||
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क्या बचेगा सपनों को दबोच लिए जाने के बाद | क्या बचेगा सपनों को दबोच लिए जाने के बाद | ||
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माचिस बारूद और पत्थर के सिवा | माचिस बारूद और पत्थर के सिवा | ||
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सावधान | सावधान | ||
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खतरे में है बचपन | खतरे में है बचपन | ||
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कभी भी नेस्तनाबूद हो सकता है | कभी भी नेस्तनाबूद हो सकता है | ||
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समूचा जीवन | समूचा जीवन |
19:28, 3 मार्च 2008 के समय का अवतरण
तितली-जैसे दिन को
नोच-नोच कर
फेंक दिया गया है
रद्दी काग़ज की तरह
काले राक्षस ने
दबोच लिया है
नर्म-नाज़ुक सपनों को
गमकने से पहले
ज्यों चंदा को राहू
हरे-भरे पाठों वाली किताबें
लूटी जा चुकी हैं
तानाशाह से
विदेशी आक्रमणकारी की भाँति
अधखिंची रेखाओं वाले हाथों में
चहकते गुड्डे-गुड़ियों को
तब्दील कर दिया है
लालची जादूगर ने
माचिस
बारूद
पत्थर में
ऐसे में क्या बचेगा
दिन को फेंके जाने के बाद
क्या बचेगा सपनों को दबोच लिए जाने के बाद
आखिर क्या बचेगा
किताबों को लूट लिये जाने के बाद
दुनिया में
माचिस बारूद और पत्थर के सिवा
सावधान
खतरे में है बचपन
कभी भी नेस्तनाबूद हो सकता है
समूचा जीवन