भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"घुर्रम-घुर्रम-घर्र / प्रदीप शुक्ल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रदीप शुक्ल |अनुवादक=गुल्लू का ग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=प्रदीप शुक्ल | |रचनाकार=प्रदीप शुक्ल | ||
− | |अनुवादक= | + | |अनुवादक= |
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
पंक्ति 22: | पंक्ति 22: | ||
आगे-आगे मुन्ना पीछे | आगे-आगे मुन्ना पीछे | ||
− | दीदी | + | दीदी हाथ पसारे |
गिर ना जाए चबूतरे से | गिर ना जाए चबूतरे से | ||
पहुँचा हुआ किनारे | पहुँचा हुआ किनारे |
21:52, 1 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
दौड़ रही मुन्ना की गाड़ी
घुर्रम – घुर्रम – घर्र
लिए नगाड़ा मुन्नी पीछे
कुर्रम – कुर्रम – कर्र
दौड़ रहा वो पूरे घर में
पहने केवल चड्ढी
उसके आगे से हट जाओ
बहुत तेज़ है गड्डी
थक कर दादी बैठ गई हैं
मचिया बोली चर्र
दौड़ रही मुन्ना की गाड़ी
घुर्रम – घुर्रम – घर्र
आगे-आगे मुन्ना पीछे
दीदी हाथ पसारे
गिर ना जाए चबूतरे से
पहुँचा हुआ किनारे
बहुत ज़ोर से तभी पास में
मेढक बोला टर्र
दौड़ रही मुन्ना की गाड़ी
घुर्रम – घुर्रम – घर्र
मम्मी बोली रुक जा मुन्ना
खाना तो खा ले
पर निगाह में तितली उसके
पहले वो पा ले
मुश्किल से छू पाया मुन्ना
तितली भागी फ़र्र
दौड़ रही मुन्ना की गाड़ी
घुर्रम – घुर्रम – घर्र