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"124 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर
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हिक हुट रहे सिर सुट रहे अंत हुट रहे मन ताया ई | हिक हुट रहे सिर सुट रहे अंत हुट रहे मन ताया ई | ||
वारस शाह मियां सुते मामले नूं लंगे लुचेने फेर जगाया ई | वारस शाह मियां सुते मामले नूं लंगे लुचेने फेर जगाया ई | ||
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11:06, 31 मार्च 2017 के समय का अवतरण
कैदो आखदा मलकिए भेड़िए नी तेरी धीउ नूं वडा चंचल चाया ई
जाए नदी ते चाक दे नाल घुलदी एस मुलख दा अध गवाया ई
मां बाप काजी सभे होड़ थके एस इक ना जीउ ते लाया ई
मुंह घुट रहे वाल पुट रही थक हुट रही गैब चाया ई
हिक हुट रहे सिर सुट रहे अंत हुट रहे मन ताया ई
वारस शाह मियां सुते मामले नूं लंगे लुचेने फेर जगाया ई
शब्दार्थ
<references/>