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− | ::व्यर्थ है मुझको चुम्बन भी | + | ::व्यर्थ है मुझको चुम्बन भी |
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− | मुझे बेहोशी प्यारी है | + | मुझे बेहोशी प्यारी है |
− | न जाने क्या लाचारी है | + | न जाने क्या लाचारी है |
आज मन भारी-भारी है | आज मन भारी-भारी है | ||
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21:32, 21 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
न जाने क्या लाचारी है
आज मन भारी-भारी है
हृदय से कहता हूँ कुछ गा
प्राण की पीड़ित बीन बजा
प्यास की बात न मुँह पर ला
यहाँ तो सागर खारी है
न जाने क्या लाचारी है
आज मन भारी-भारी है
सुरभि के स्वामी फूलों पर
चढ़ाए मैंने जब कुछ स्वर
लगे वे कहने मुरझाकर
ज़िन्दगी एक खुमारी है
न जाने क्या लाचारी है
आज मन भारी-भारी है
नहीं है सुधि मुझको तन की
व्यर्थ है मुझको चुम्बन भी
अजब हालत है जीवन की
मुझे बेहोशी प्यारी है
न जाने क्या लाचारी है
आज मन भारी-भारी है