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"अबोध का बोध पाठ / लावण्या शाह" के अवतरणों में अंतर
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08:44, 29 मई 2010 के समय का अवतरण
हैं छोटे छोटे हाथ मेरे,
छोटे छोटे पाँव।
नन्हीं नन्हीं आँखे मेरी
नन्हें नन्हें कान।
फिर भी हरदम चलता हूँ
हाथों से करता काम।
रोज देखता सुंदर सपना
सुनता सुंदर गान।
अब हमारी सुनो प्रार्थना
तुम भी बच्चे बन जाओ।
छोड़ो झगड़े और लड़ाई
अच्छे बच्चे बन जाओ।
