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"मईया अब तुम ही समझाओ / अभिषेक कुमार अम्बर" के अवतरणों में अंतर

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मईया अब तुम ही समझाओ
 
मईया अब तुम ही समझाओ
मन में प्रश्न अखरता है
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मन में प्रश्न उभरता है
 
रात होते ही चंदा क्यों
 
रात होते ही चंदा क्यों
मेरा पीछा करता है।
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मेरा पीछा करता है?
  
मैं जो चलूं तो चलने लगता
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मैं जो चलूँ तो चलने लगता
रुक जाऊं तो रुक जाता है
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रुक जाऊँ तो रुक जाता है
मैं जो हंसू तो हंसने लगता
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मैं जो हँसू तो हँसने लगता
शरमाऊं तो शरमाता है।
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शरमाऊँ तो शरमाता है।
  
 
मईया बोली सुन रे बेटा,
 
मईया बोली सुन रे बेटा,
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जैसे भौरा रस की खातिर
 
जैसे भौरा रस की खातिर
 
फूलों पर मंडराता है
 
फूलों पर मंडराता है
अंबर अवनी को बांहों में
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अंबर अवनी को बाँहों में
 
भरने को हाथ बढ़ाता है।
 
भरने को हाथ बढ़ाता है।
  

13:55, 13 जुलाई 2020 के समय का अवतरण

मईया अब तुम ही समझाओ
मन में प्रश्न उभरता है
रात होते ही चंदा क्यों
मेरा पीछा करता है?

मैं जो चलूँ तो चलने लगता
रुक जाऊँ तो रुक जाता है
मैं जो हँसू तो हँसने लगता
शरमाऊँ तो शरमाता है।

मईया बोली सुन रे बेटा,
इसमें नहीं दुराहा है
वैसे भी चंदा तो बेटा
लगता तेरा मामा है।

जैसे भौरा रस की खातिर
फूलों पर मंडराता है
अंबर अवनी को बाँहों में
भरने को हाथ बढ़ाता है।

वैसे ही चंदा भी तुझपर
अपना प्यार लुटाता है
इसलिए वह हर पल
तेरे पीछे-पीछे आता है।