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|रचनाकार=भवप्रीतानन्द ओझा
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|रचनाकार=श्रीस्नेही
 
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|संग्रह=अंगिका के प्रतिनिधि प्रकृति कविता / गंगा प्रसाद राव
 
|संग्रह=अंगिका के प्रतिनिधि प्रकृति कविता / गंगा प्रसाद राव
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पी पी पपीहरी, पपीहरा केॅ टेरै
 
पी पी पपीहरी, पपीहरा केॅ टेरै
 
उड़ी ऐलै लेॅ पियबा आहार बंसुरिया बाजी रहै
 
उड़ी ऐलै लेॅ पियबा आहार बंसुरिया बाजी रहै
 
मन भागै पुरबी बहियार/राम शर्मा अनल
 
 
मन भागै पुरबी बहियार लगातार, आज
 
भोर जहां सैन खेलै, मौसम बेचैन घुरे
 
परसोखा देखी केॅ, गीत जहां गाबै चिरै
 
बगुला के पंक्ति जहाँ ऊड़ै हजार लगातार, आज
 
खेत में घोंघीं घूमै, आरी बूलै छाता
 
ताड़ॅ पर झूला झूलै, बाया रॅ खोता
 
धरती विधाता खाय सतुवा-अचार लगातार, आज
 
बांध करै ठांय-ठांय, नदी गुंगुंवाबै छै
 
कमलॅ रॅ फूल जहाँ, भांसी-भांसी आबैं छै
 
बकरी धोरैया गलां सेवड़ा रॅ हार लगातार, आज
 
झोंखीं सें तित्तर बोलै, आरो पर कांकुर-माकुर
 
चन्ना-पोंठा पानी चढ़ै, राज माबै दादूर-झिंगुर
 
बुतरू बच्चा बंसी जहां खेलै पथार लगातार, आज
 
भैंस हेलैपानी में, सैरा पारै माछॅ झांगुर
 
बकरी घुरै खुट्टा में, गाय जहां करै पागुर
 
पपीहा पिया-पिया रटै नद्दी रॅ पार लगातार आज-
 
पोखर करै झलर-मलर पानी परै टिपिर-टिपिर
 
करमी-सरोची हिलै, हवा वहै सिसर-सिसर
 
मेघ जहां क्यारी-क्यारी बनै फुहार लगातार, आज
 
धान रानी अंगना में, छाकै सधौरी
 
पिया कीया लैक ऐलै, अंगिया पटोरी
 
सांवरी बदरिया जहां गाबै मल्हार लगातार, आज।
 
 
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13:48, 14 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

खेत बगिया बसंती बहार बंसुरिया बाजी
आमॅ के डारी चुबै रस बुंदिया
कुहू-कुहू कुहकै कोयलिया सहेलिया
केस घुंघटा उड़ाबै बयार बंसुरिया बाजी रहै
महुआ बदन हमरॅ बारी उमरिया
ससरै छै झलमल दुपहरी चुनरिया
झुपीरहै नैना-दुआर बंसुरिया बाजी रहै
हरिहर सुगनो पात तरे हेरै
पी पी पपीहरी, पपीहरा केॅ टेरै
उड़ी ऐलै लेॅ पियबा आहार बंसुरिया बाजी रहै