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"कितनी देर और / इला कुमार" के अवतरणों में अंतर

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आँख जो
 
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आकाश के आरपार निहारती है
 
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सम्पूर्ण सृष्टि को  
 
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सत् का असत् और असत् का सत्
 
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दोनों चुप हैं
 
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मौन है वायु में निहित प्राण  
 
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समूची पृथ्वी अपने पगों से विरच
 
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अदृष्ट दृष्ट वैश्नावर  
 
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यही कहीं डिसोल्व होता हुआ  
 
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कालखंड के बीच से झरता हुआ समय प्रवाह
 
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अभी और कितनी देर
 
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कितनी देर और?
 
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19:53, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

आँख जो
आकाश के आरपार निहारती है
सम्पूर्ण सृष्टि को

सत् का असत् और असत् का सत्
दोनों चुप हैं

मौन है वायु में निहित प्राण
समूची पृथ्वी अपने पगों से विरच
अदृष्ट दृष्ट वैश्नावर
यही कहीं डिसोल्व होता हुआ

कालखंड के बीच से झरता हुआ समय प्रवाह

अभी और कितनी देर

कितनी देर और?