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"विश्व पुस्तक मेला 2018" के अवतरणों में अंतर

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कविता कोश के विकास हेतु सहायता राशि एकत्र करने के लिए हम '''विश्व पुस्तक मेल 2018''' में एक स्टॉल लगा रहे हैं। मेले में पहुँचने वाले पुस्तक-प्रेमियो से अनुरोध है कि स्वेच्छा से हमारे स्वयंसेवी प्रयास को सहायता दें।
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<p  style="font-size: 30px; text-align: center">सहायता राशि एकत्रण / Fund Raising</p>
  
6 से 14 जनवरी 2018 तक नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित होने वाले विश्व पुस्तक मेले में कविता कोश के स्वयंसेवक आपके लिए कई उपहार लेकर हाज़िर होंगे।
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कविता कोश के विकास हेतु '''सहायता राशि''' एकत्र करने के लिए हम '''विश्व पुस्तक मेल 2018''' में एक स्टॉल लगा रहे हैं। मेले में पहुँचने वाले पुस्तक-प्रेमियो से अनुरोध है कि स्वेच्छा से हमारे स्वयंसेवी प्रयास को सहायता दें।
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6 से 14 जनवरी 2018 तक नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित होने वाले विश्व पुस्तक मेले में कविता कोश के स्वयंसेवक आपके लिए कई उपहार लेकर हाज़िर हुए।
  
 
====कविता कोश कैलेण्डर 2018====
 
====कविता कोश कैलेण्डर 2018====
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स्थान: स्टॉल 22-24 हॉल 12<br>
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समय: 6 से 14 जनवरी 2018 (सुबह 11 बजे से शाम 8 बजे तक)
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कविता कोश महत्त्वपूर्ण है लेकिन उससे भी कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण है इससे जुड़े सभी स्वयंसेवक साथी और हमारी निस्वार्थ स्वयंसेवा भावना। कविता कोश से जुड़े लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष इससे कोई भी आर्थिक लाभ नहीं पाते लेकिन फिर भी हम अपने मन की संतुष्टि के लिए अथक कार्य में जुटे रहते हैं। यही बात कविता कोश को एक अद्वितीय परियोजना बनाती है।
 
कविता कोश महत्त्वपूर्ण है लेकिन उससे भी कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण है इससे जुड़े सभी स्वयंसेवक साथी और हमारी निस्वार्थ स्वयंसेवा भावना। कविता कोश से जुड़े लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष इससे कोई भी आर्थिक लाभ नहीं पाते लेकिन फिर भी हम अपने मन की संतुष्टि के लिए अथक कार्य में जुटे रहते हैं। यही बात कविता कोश को एक अद्वितीय परियोजना बनाती है।
  
 
हमारे ऐसे ही एक अथक स्वयंसेवी कार्य का परिणाम है '''कविता कोश कैलेण्डर 2018'''। इस शानदार कैलेण्डर को आप सबके सामने रखते हुए हमें गर्व हो रहा है... कुमार अमित और शारदा सुमन इस कैलेण्डर परियोजना के सूत्रधार रहे हैं।
 
हमारे ऐसे ही एक अथक स्वयंसेवी कार्य का परिणाम है '''कविता कोश कैलेण्डर 2018'''। इस शानदार कैलेण्डर को आप सबके सामने रखते हुए हमें गर्व हो रहा है... कुमार अमित और शारदा सुमन इस कैलेण्डर परियोजना के सूत्रधार रहे हैं।
  
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हिन्दी साहित्य के बारे में शायद आज तक ऐसा भव्य कैलेण्डर नहीं बना है।
 
हिन्दी साहित्य के बारे में शायद आज तक ऐसा भव्य कैलेण्डर नहीं बना है।
  
यह कैलेण्डर विश्व पुस्तक मेला (6 - 14 जनवरी 2018) में कविता कोश के स्टॉल पर उपलब्ध रहेगा। आप कविता कोश के लिए सहयोग राशि देकर इस कैलेण्डर को अवश्य लें। आपके द्वारा दिया गया आर्थिक सहयोग कविता कोश परियोजना के लिए ऑक्सीजन की तरह काम करता है।
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यह कैलेण्डर विश्व पुस्तक मेला (6 - 14 जनवरी 2018) में कविता कोश के स्टॉल और बाद में अमेज़ॉन पर ऑनलाइन भी  उपलब्ध रहा। हज़ारों व्यक्तियों ने इस कैलेण्डर को लेकर कविता कोश परियोजना को अपना समर्थन दिया। आपके द्वारा दिया गया आर्थिक सहयोग कविता कोश परियोजना के लिए ऑक्सीजन की तरह काम करता है।
  
यह कैलेण्डर दो रूपों में उपलब्ध होगा:
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यह कैलेण्डर दो रूपों में उपलब्ध रहा:
  
 
* दीवार कैलेण्डर
 
* दीवार कैलेण्डर
 
* टेबल कैलेण्डर
 
* टेबल कैलेण्डर
  
हालांकि हम इन्हें ऑनलाइन खरीद के लिए उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन विश्व पुस्तक मेला इसे पाने का सबसे सरल रास्ता है। यदि आप मेले में नहीं आ रहे हैं तो मेले में आने वाले अपने किसी मित्र से आग्रह करें कि वह कैलेण्डर लेकर आप तक पहुँचा दे।
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आपसे प्राप्त सहायता राशि को कविता कोश के विकास में प्रयोग किया जाता है।
  
आपसे प्राप्त सहायता राशि को कविता कोश के विकास में प्रयोग किया जाएगा।
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====पहला गीत संकलन====
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स्थान: स्टॉल 22-24 हॉल 12<br>
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समय: 6 से 14 जनवरी 2018 (सुबह 11 बजे से शाम 8 बजे तक)
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राहुल शिवाय द्वारा संपादित और कुमार अमित के बनाए कवर से सजा गीत संकलन "गीत गुनगुनाएँ फिर से" भी खरीद के लिए हमारे स्टॉल पर उपलब्ध रहा। नए काव्य रचनाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए कविता कोश द्वारा प्रकाशित इस संकलन वरिष्ठ और नवोदित 80 गीतकारों को स्थान दिया गया है।
  
====गीत संकलन की प्रस्तुति====
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राहुल शिवाय द्वारा संपादित और कुमार अमित के बनाए कवर से सजा गीत संकलन "गीत गुनगुनाएँ फिर से" भी खरीद के हमारे स्टॉल पर उपलब्ध होगा। नए काव्य रचनाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए कविता कोश द्वारा प्रकाशित इस संकलन वरिष्ठ और नवोदित 80 गीतकारों को स्थान दिया गया है।
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===="चाँद का मुँह टेढ़ा है"====
 
===="चाँद का मुँह टेढ़ा है"====
कविता कोश इस विश्व पुस्तक मेले में दो शानदार कार्यक्रमों का आयोजन भी करेगा। पहला कार्यक्रम 7 जनवरी को 4:15 बजे होगा। इसमें मुक्तिबोध के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक चर्चा होगी। इस चर्चा में [[लीलाधर मंडलोई|लीलाधर मंडलोई जी]], [[मदन कश्यप|मदन कश्यप जी]], [[सुमन केशरी|सुमन केशरी जी]] और [[अशोक कुमार पाण्डेय|अशोक कुमार पाण्डेय जी]] भाग लेंगे। चर्चा का संचालन सईद अय्यूब करेंगे।
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स्थान: लेखक मंच, हॉल 12<br>
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समय: 7 जनवरी 2018 (शाम 4:15 से 5:45 तक)<br>
  
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[https://www.facebook.com/events/157455274888485/ फ़ेसबुक ईवेंट में अपने आगमन के बारे में बताएँ]
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कविता कोश ने विश्व पुस्तक मेले में 7 जनवरी को 4:15 बजे मुक्तिबोध के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक चर्चा आयोजित की। इस चर्चा में [[लीलाधर मंडलोई|लीलाधर मंडलोई जी]], [[मदन कश्यप|मदन कश्यप जी]], [[सुमन केशरी|सुमन केशरी जी]] और [[अशोक कुमार पाण्डेय|अशोक कुमार पाण्डेय जी]] ने भाग लिया। चर्चा का संचालन सईद अय्यूब ने किया।
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====कविता कोश लोकरंग====
 
====कविता कोश लोकरंग====
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स्थान: लेखक मंच, हॉल 12<br>
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समय: 13 जनवरी 2018 (शाम 6:00 से 7:30 तक)<br>
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कविता कोश सभी भाषाओं के काव्य का एक महासागर है... विभिन्न भाषाओं के प्रति अनुराग रखने वाले स्वयंसेवक कविता कोश के विभिन्न भाषा विभागों को परिवर्धित करते हैं। स्वयंसेवकों के इस श्रम को रेखांकित करने के लिए हम बहुत समय से एक कार्यक्रम करना चाहते थे जिसमें विभिन्न भाषाओं के गीतों की मिठास को एक साथ घोला जा सके।
 
कविता कोश सभी भाषाओं के काव्य का एक महासागर है... विभिन्न भाषाओं के प्रति अनुराग रखने वाले स्वयंसेवक कविता कोश के विभिन्न भाषा विभागों को परिवर्धित करते हैं। स्वयंसेवकों के इस श्रम को रेखांकित करने के लिए हम बहुत समय से एक कार्यक्रम करना चाहते थे जिसमें विभिन्न भाषाओं के गीतों की मिठास को एक साथ घोला जा सके।
  
इसी दिशा में एक छोटा-सा कदम बढ़ाते हुए हम विश्व पुस्तक मेले के दौरान "लोकरंग" नामक एक कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं जिसमें कविता कोश के स्वयंसेवक विभिन्न भाषाओं के गीतों/कविताओं का सस्वर पाठ करेंगे। इसमें राजस्थानी, हरियाणवी, अंगिका, मैथिली, भोजपुरी, ब्रजभाषा, बज्जिका और अवधी की रचनाओं का पाठ होगा। यक़ीनन यह कार्यक्रम मीठा होगा... आप 13 जनवरी को शाम 6 बजे प्रगति मैदान के हॉल 12 में उपस्थित रहें और इस मिठास का आनंद लें! हमारी कोशिश को समर्थन देने आइयेगा ज़रूर!
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इसी दिशा में एक छोटा-सा कदम बढ़ाते हुए हमनें विश्व पुस्तक मेले के दौरान "लोकरंग" नामक एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में विभिन्न भाषाओं के गीतों/कविताओं का सस्वर पाठ किया गया। इसमें राजस्थानी, हरियाणवी, अंगिका, मैथिली, भोजपुरी, ब्रजभाषा, बज्जिका, पंजाबी और अवधी की रचनाओं का पाठ हुआ।
  
[[चित्र:Kavitakosh-lokrang-ndwbf-2018.jpg]]
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[[Category:कविता कोश]]
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15:48, 16 अप्रैल 2019 के समय का अवतरण

सहायता राशि एकत्रण / Fund Raising

कविता कोश के विकास हेतु सहायता राशि एकत्र करने के लिए हम विश्व पुस्तक मेल 2018 में एक स्टॉल लगा रहे हैं। मेले में पहुँचने वाले पुस्तक-प्रेमियो से अनुरोध है कि स्वेच्छा से हमारे स्वयंसेवी प्रयास को सहायता दें।

6 से 14 जनवरी 2018 तक नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित होने वाले विश्व पुस्तक मेले में कविता कोश के स्वयंसेवक आपके लिए कई उपहार लेकर हाज़िर हुए।

कविता कोश कैलेण्डर 2018

स्थान: स्टॉल 22-24 हॉल 12
समय: 6 से 14 जनवरी 2018 (सुबह 11 बजे से शाम 8 बजे तक)

कविता कोश महत्त्वपूर्ण है लेकिन उससे भी कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण है इससे जुड़े सभी स्वयंसेवक साथी और हमारी निस्वार्थ स्वयंसेवा भावना। कविता कोश से जुड़े लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष इससे कोई भी आर्थिक लाभ नहीं पाते लेकिन फिर भी हम अपने मन की संतुष्टि के लिए अथक कार्य में जुटे रहते हैं। यही बात कविता कोश को एक अद्वितीय परियोजना बनाती है।

हमारे ऐसे ही एक अथक स्वयंसेवी कार्य का परिणाम है कविता कोश कैलेण्डर 2018। इस शानदार कैलेण्डर को आप सबके सामने रखते हुए हमें गर्व हो रहा है... कुमार अमित और शारदा सुमन इस कैलेण्डर परियोजना के सूत्रधार रहे हैं।

Kavitakosh-calendar-2018.jpg


हिन्दी साहित्य के बारे में शायद आज तक ऐसा भव्य कैलेण्डर नहीं बना है।

यह कैलेण्डर विश्व पुस्तक मेला (6 - 14 जनवरी 2018) में कविता कोश के स्टॉल और बाद में अमेज़ॉन पर ऑनलाइन भी उपलब्ध रहा। हज़ारों व्यक्तियों ने इस कैलेण्डर को लेकर कविता कोश परियोजना को अपना समर्थन दिया। आपके द्वारा दिया गया आर्थिक सहयोग कविता कोश परियोजना के लिए ऑक्सीजन की तरह काम करता है।

यह कैलेण्डर दो रूपों में उपलब्ध रहा:

  • दीवार कैलेण्डर
  • टेबल कैलेण्डर

आपसे प्राप्त सहायता राशि को कविता कोश के विकास में प्रयोग किया जाता है।

पहला गीत संकलन

स्थान: स्टॉल 22-24 हॉल 12
समय: 6 से 14 जनवरी 2018 (सुबह 11 बजे से शाम 8 बजे तक)

राहुल शिवाय द्वारा संपादित और कुमार अमित के बनाए कवर से सजा गीत संकलन "गीत गुनगुनाएँ फिर से" भी खरीद के लिए हमारे स्टॉल पर उपलब्ध रहा। नए काव्य रचनाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए कविता कोश द्वारा प्रकाशित इस संकलन वरिष्ठ और नवोदित 80 गीतकारों को स्थान दिया गया है।

Geet-gungunaae-fir-se-kavitakosh.jpg


"चाँद का मुँह टेढ़ा है"

स्थान: लेखक मंच, हॉल 12
समय: 7 जनवरी 2018 (शाम 4:15 से 5:45 तक)
फ़ेसबुक ईवेंट में अपने आगमन के बारे में बताएँ

कविता कोश ने विश्व पुस्तक मेले में 7 जनवरी को 4:15 बजे मुक्तिबोध के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक चर्चा आयोजित की। इस चर्चा में लीलाधर मंडलोई जी, मदन कश्यप जी, सुमन केशरी जी और अशोक कुमार पाण्डेय जी ने भाग लिया। चर्चा का संचालन सईद अय्यूब ने किया।

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कविता कोश लोकरंग

स्थान: लेखक मंच, हॉल 12
समय: 13 जनवरी 2018 (शाम 6:00 से 7:30 तक)

कविता कोश सभी भाषाओं के काव्य का एक महासागर है... विभिन्न भाषाओं के प्रति अनुराग रखने वाले स्वयंसेवक कविता कोश के विभिन्न भाषा विभागों को परिवर्धित करते हैं। स्वयंसेवकों के इस श्रम को रेखांकित करने के लिए हम बहुत समय से एक कार्यक्रम करना चाहते थे जिसमें विभिन्न भाषाओं के गीतों की मिठास को एक साथ घोला जा सके।

इसी दिशा में एक छोटा-सा कदम बढ़ाते हुए हमनें विश्व पुस्तक मेले के दौरान "लोकरंग" नामक एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में विभिन्न भाषाओं के गीतों/कविताओं का सस्वर पाठ किया गया। इसमें राजस्थानी, हरियाणवी, अंगिका, मैथिली, भोजपुरी, ब्रजभाषा, बज्जिका, पंजाबी और अवधी की रचनाओं का पाठ हुआ।

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