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"छोटी नज़्म / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

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उसे बुला जिसकी चाहत में <br>
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तेरा तन-मन भीगा है <br>
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प्यार की बारिश से बढ़कर क्या बारिश होगी !  
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हिज्र की पहली धूप खिलेगी
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तुझ पर रंग के इस्म खुलेंगे ।
 
तुझ पर रंग के इस्म खुलेंगे ।
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10:22, 24 नवम्बर 2021 के समय का अवतरण



मौसम

चिड़िया पूरी तरह भीग चुकी है
और दरख़्त भी पत्ता पत्ता टपक रहा है
घोंसला कब का बिखर चुका है
चिड़िया फिर भी चहक रही है
अंग अंग से बोल रही है
इस मौसम में भीगते रहना
कितना अच्छा लगता है

फ़ोन

मैं क्यों उसको फ़ोन करूं
उसके भी तो इल्म में होगा
कल शब
मौसम की पहली बारिश थी

बारिश

बारिश में क्या तन्हा भीगना लड़की !
उसे बुला जिसकी चाहत में
तेरा तन-मन भीगा है
प्यार की बारिश से बढ़कर क्या बारिश होगी !
और जब इस बारिश के बाद
हिज्र की पहली धूप खिलेगी
तुझ पर रंग के इस्म खुलेंगे ।