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"पहले जेब टटोल / बालकृष्ण गर्ग" के अवतरणों में अंतर

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दीवाली पर उल्लू बोला-
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कहा गधे ने पहुँच ‘शाप’ पर-
‘कर लो पूजन मेरा,
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‘लेने आया मोल;
लक्ष्मी जी का मेरे ऊपर
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बड़िया से बादाम छाँटकर
रहता सदा ऊपर’।
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पाँच किलो दे तोल!’
 
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मुर्गा मेवे वाला बोला-
कोयल बोली-‘मूर्ख बना मत,
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‘पहले जेब टटोल;
मैं तो ‘चम्पक’ पढ़ती,
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भाव पाँच सौ रुपए किलो है
खूब जानती, बुद्धि और श्रम-
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कितने तोलूँ, बोल?’
से सुख-संपद बढ़ती’।
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[रचना: 27 सितंबर 1996]
[चम्पक, नवंबर 1996]
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14:21, 22 मई 2018 के समय का अवतरण

कहा गधे ने पहुँच ‘शाप’ पर-
‘लेने आया मोल;
बड़िया से बादाम छाँटकर
पाँच किलो दे तोल!’
मुर्गा मेवे वाला बोला-
‘पहले जेब टटोल;
भाव पाँच सौ रुपए किलो है
कितने तोलूँ, बोल?’
[रचना: 27 सितंबर 1996]