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"हँसती है घास /राम शरण शर्मा 'मुंशी'" के अवतरणों में अंतर

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22:45, 18 जुलाई 2018 के समय का अवतरण

एक धार मार कर
चली गई
बयार ।

         सिहर रहा
         मन अब तक,
         घाव
         आर-पार ।

हँसती है
घास
आस-पास —

         हँसते हैं
         रक्त-रंगे
         ढीठ चिनार !