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"जीवन का यज्ञ / रश्मि शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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तुम हवन कुंड बनो
 
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मैं समि‍धा बन तुममें
 
मैं समि‍धा बन तुममें
समाहि‍त हो जाऊं
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और पवि‍त्र श्‍लोक बन
 
और पवि‍त्र श्‍लोक बन
हर जन्‍म तुम्‍हें याद आऊं।  
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हर जन्‍म तुम्‍हें याद आऊँ।  
 
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04:01, 7 अक्टूबर 2018 के समय का अवतरण

मेरी प्रार्थनाओं में
जब से
तुम शामि‍ल हुए हो
मन मेरा
समि‍धा बन बैठा है

हर आहुति के साथ
तेज धधक उठती है
प्रेम की ज्‍वाला
और
हर स्‍वाहा के साथ
तुममें जा मि‍लने को
व्‍यग्र, आतुर मन
है पूर्णाहुति की प्रतीक्षा में

आओ
मि‍लकर पूर्ण करें
जीवन का यह यज्ञ
तुम हवन कुंड बनो
मैं समि‍धा बन तुममें
समाहि‍त हो जाऊँ

और पवि‍त्र श्‍लोक बन
हर जन्‍म तुम्‍हें याद आऊँ।