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"अज़ाब की लज़्ज़त / शहरयार" के अवतरणों में अंतर

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फिर रेत भरे दस्ताने पहने बच्चों का
 
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इक लम्बा जुलूस निकलते देखने वाले हो
 
इक लम्बा जुलूस निकलते देखने वाले हो
 
 
आँखों को काली लम्बी रात से धो डालो
 
आँखों को काली लम्बी रात से धो डालो
 
 
तुम ख़ुशक़िस्मत हो, ऎसे अज़ाब की लज़्ज़त
 
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फिर तुम चक्खोगे।
 
फिर तुम चक्खोगे।
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20:22, 29 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण

फिर रेत भरे दस्ताने पहने बच्चों का
इक लम्बा जुलूस निकलते देखने वाले हो
आँखों को काली लम्बी रात से धो डालो
तुम ख़ुशक़िस्मत हो, ऎसे अज़ाब की लज़्ज़त
फिर तुम चक्खोगे।