भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चरवाहे / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
छो |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=कुमार मुकुल | |रचनाकार=कुमार मुकुल | ||
+ | |अनुवादक= | ||
|संग्रह=परिदृश्य के भीतर / कुमार मुकुल | |संग्रह=परिदृश्य के भीतर / कुमार मुकुल | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
+ | <poem> | ||
चरवाहे बन सकते हैं शहंशाह | चरवाहे बन सकते हैं शहंशाह | ||
− | |||
शहंशाह बन नहीं सकता चरवाहा चाहकर भी | शहंशाह बन नहीं सकता चरवाहा चाहकर भी | ||
− | |||
तानाशाह बन सकता है वह | तानाशाह बन सकता है वह | ||
− | |||
भोला-भाला व्यक्ति | भोला-भाला व्यक्ति | ||
− | |||
बन सकता है पंडित ज्ञानी विराट | बन सकता है पंडित ज्ञानी विराट | ||
− | |||
ज्ञानी हो नहीं सकता मूर्ख | ज्ञानी हो नहीं सकता मूर्ख | ||
− | |||
पागल हो सकता है वह | पागल हो सकता है वह | ||
− | |||
आकाश छूती ज़मीन को | आकाश छूती ज़मीन को | ||
− | |||
पाट सकते हो अट्टालिकाओं से | पाट सकते हो अट्टालिकाओं से | ||
− | + | खींच सकते हो | |
− | खींच सकते हो | + | |
− | + | ||
कई-कई और चीन की दीवार | कई-कई और चीन की दीवार | ||
− | |||
उसे बदल नहीं सकते समतल भूमि में | उसे बदल नहीं सकते समतल भूमि में | ||
− | |||
खंडहर बना सकते हो | खंडहर बना सकते हो | ||
− | |||
वहाँ बोलेंगे उल्लू। | वहाँ बोलेंगे उल्लू। | ||
+ | </poem> |
06:48, 30 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण
चरवाहे बन सकते हैं शहंशाह
शहंशाह बन नहीं सकता चरवाहा चाहकर भी
तानाशाह बन सकता है वह
भोला-भाला व्यक्ति
बन सकता है पंडित ज्ञानी विराट
ज्ञानी हो नहीं सकता मूर्ख
पागल हो सकता है वह
आकाश छूती ज़मीन को
पाट सकते हो अट्टालिकाओं से
खींच सकते हो
कई-कई और चीन की दीवार
उसे बदल नहीं सकते समतल भूमि में
खंडहर बना सकते हो
वहाँ बोलेंगे उल्लू।