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"जीवन के अनजाने पथ पर चलना तुम स्वीकार करो / मृदुला झा" के अवतरणों में अंतर

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दुख आये जब भी जीवन में हँसकर अंगीकार करो।
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जीवन के अनजाने पथ पर चलना तुम स्वीकार करो
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दुख आये जब भी जीवन में हँसकर अंगीकार करो
  
भूली बिसरी यादें ही जीने का संबल देती हैंए
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भूली बिसरी यादें ही जीने का संबल देती हैं
अपने पौरूष के बल पर ही सपने सब साकार करो।
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अपने पौरूष के बल पर ही सपने सब साकार करो
  
सच्चाईए अनुशासन को ही जीवन का आदर्श बनाए
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सच्चाई, अनुशासन को ही जीवन का आदर्श बनाए
सबके दुख को अपना कर तुम सबका बेड़ा पार करो।
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सबके दुख को अपना कर तुम सबका बेड़ा पार करो
  
रम्य मनोहर वसुधा को हरियाली से भर.भर कर हीए
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रम्य मनोहर वसुधा को हरियाली से भर भर कर ही
अनगिन वृक्षों की रक्षा कर तुम उसका शृंगार करोए
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अनगिन वृक्षों की रक्षा कर तुम उसका शृंगार करो
  
सारे कलुषित भावों को उत्सर्ग करो गंगा जल मेंए
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सारे कलुषित भावों को उत्सर्ग करो गंगा जल में
सबके मन में प्रेम जगा कर सबका बेड़ा पार करो।
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सबके मन में प्रेम जगा कर सबका बेड़ा पार करो
 
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22:00, 4 मई 2019 के समय का अवतरण

जीवन के अनजाने पथ पर चलना तुम स्वीकार करो
दुख आये जब भी जीवन में हँसकर अंगीकार करो

भूली बिसरी यादें ही जीने का संबल देती हैं
अपने पौरूष के बल पर ही सपने सब साकार करो

सच्चाई, अनुशासन को ही जीवन का आदर्श बनाए
सबके दुख को अपना कर तुम सबका बेड़ा पार करो

रम्य मनोहर वसुधा को हरियाली से भर भर कर ही
अनगिन वृक्षों की रक्षा कर तुम उसका शृंगार करो

सारे कलुषित भावों को उत्सर्ग करो गंगा जल में
सबके मन में प्रेम जगा कर सबका बेड़ा पार करो