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"पिताजी काहे को (बिदाई गीत) / खड़ी बोली" के अवतरणों में अंतर

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'''बिदाई गीत -2<br>'''
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पिताजी काहे को ब्याही परदेस…
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हम तो पिताजी थारे झाम्बे की चिड़िया
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डळा मारै उड़ जाएँ,  
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काहे को ब्याही परदेस…
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हम तो पिताजी थारे खूँटे की गउँवाँ
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जिधर हाँको हँक जाएँ,  
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काहे को ब्याही परदेस…
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हम तो पिताजी थारे कमरे ईंटें,  
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जिधर चिणों चिण जाएँ,  
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काहे को ब्याही परदेस…
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10:01, 1 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पिताजी काहे को ब्याही परदेस…
हम तो पिताजी थारे झाम्बे की चिड़िया
डळा मारै उड़ जाएँ,
काहे को ब्याही परदेस…
हम तो पिताजी थारे खूँटे की गउँवाँ
जिधर हाँको हँक जाएँ,
काहे को ब्याही परदेस…
हम तो पिताजी थारे कमरे ईंटें,
जिधर चिणों चिण जाएँ,
काहे को ब्याही परदेस…