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"चिड़िया से पूछो / सुधा गुप्ता" के अवतरणों में अंतर

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चिड़िया
 
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फिर कबी
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फिर कभी
 
मुँह मोड़कर घोंसले की ओर
 
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नहीं देखती ।
 
नहीं देखती ।

00:08, 6 दिसम्बर 2020 के समय का अवतरण


घोंसले की
सार्थकता
कितनी है
चिड़िया से पूछो 1

सिर्फ़ उतनी
कि जितनी देर
उसमें अण्डे रहें
अण्डों से बच्चे निकलें
बच्चे उड़ना सीखें
दाना-दुनका खाना सीखें
और
फिर एक दिन उड़ जाएँ
फुर्र … फुर्र … फुर्र …

चिड़िया
फिर कभी
मुँह मोड़कर घोंसले की ओर
नहीं देखती ।

तुम
ईंट-पत्थर के क़ैदख़ाने से
चिपके-जुड़े
ताज़िन्दगी क़ैद काटते हो !

(बूढ़ी सदी और डैने टूटा आदमी 14-12-1983)