भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"निम्नमध्यवर्ग का गीत / शांति सुमन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शांति सुमन |संग्रह=एक सूर्य रोटी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
}} | }} | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
+ | {{KKVID|v=71mUcM8-P2k}} | ||
<poem> | <poem> | ||
भैया जब घर आता है | भैया जब घर आता है |
23:17, 23 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
यदि इस वीडियो के साथ कोई समस्या है तो
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें
भैया जब घर आता है
तब ऐसा होता है ।
चिन्ता करते बाबूजी की
खाँसी नहीं दुहरती
बिना दवा खाये माँ
घर में आना-जाना करती
छोटी बहना जान गई
मन कैसा होता है ।
पिछले भादो में रेहन पर
लगे आम-अमरूद
भैया उन्हें छुड़ाएगा
पाई-पाई सूद
मुनुवा कैसे भूले सब कुछ
पैसा होता है ।
भाभी की पहनी है साड़ी
रंग नहीं छूटे
घर की परिपाटी है
जीते जी कैसे टूटे
टोले भर में बाँटेगी
जी, वैसा होता है ।