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"मुतफ़र्रिक़ अशआर / सुरेश चन्द्र शौक़" के अवतरणों में अंतर

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जी करता है जंगल के इक गोशे को आबाद करें
 
  
धूनी रमाएँ,चिलम भरेम और भोलेनाथ को याद करें
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जी करता है जंगल के इक गोशे <ref>टुकड़े</ref>को आबाद करें
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धूनी रमाएँ,चिलम भरें और भोलेनाथ को याद करें
  
 
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रुक—सा गया है सिल्सिला—ए—नज़्मे—कायनात
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रुक-सा गया है सिल्सिला-ए-नज़्मे-कायनात<ref>दुनिया के कामकाज का सिलसिला</ref>
  
थम— सी गई है गर्दिशे—दौराँ तिरे बग़ैर
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थम-सी गई है गर्दिशे-दौराँ<ref>काल चक्र</ref> तिरे बग़ैर
  
 
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सोने लगता हूँ तो शानों को हिला देता है
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सोने लगता हूँ तो शानों <ref>काँधों</ref>को हिला देता है
  
नीम शब को ये मुझे कौन सदा देता है
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नीम शब<ref>आधी रात</ref> को ये मुझे कौन सदा देता है
 
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सिलसिला —ए—नज़्मे—कायनात=दुनिया के कामकाज का सिलसिला;गर्दिशे—दौराँ =काल चक्र;शानों= काँधों;नीमशब=आधी रात
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आये थे तेरी बज़्म में किस इश्तियाक़ से
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आये थे तेरी बज़्म में किस इश्तियाक़<ref>शौक़</ref>से
  
 
किस बेदिली से हमको मगर लौटना पड़ा
 
किस बेदिली से हमको मगर लौटना पड़ा
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वो बेख़ुदि के लिए हो कि आगही के लिए
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वो बेख़ुदी के लिए हो कि आगही के लिए
  
 
शराबे—ग़म तो ज़रूरी है ज़िन्दगी के लिए
 
शराबे—ग़म तो ज़रूरी है ज़िन्दगी के लिए
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तुम्हीं ने तर्के—तअल्लुक़ की ठान ली दिल में
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तुम्हीं ने तर्के—तअल्लुक़ <ref>सम्बन्ध परित्याग</ref>की ठान ली दिल में
  
 
तुम्हीं ने हाथ बढ़ाया था दोस्ती के लिए
 
तुम्हीं ने हाथ बढ़ाया था दोस्ती के लिए
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बहरे—हस्ती से तलातुम से जो टकराते रहे
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बहरे—हस्ती<ref> भवसागर</ref> से तलातुम<ref>बाढ़ </ref> से जो टकराते रहे
  
दर—हक़ीक़त राहते—साहिल वही पाते रहे
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दर—हक़ीक़त राहते—साहिल<ref>किनारे पहुँचने का आराम</ref> वही पाते रहे
  
 
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वझे—बरबादिए—दिल और बताई हमने
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वजहे—बरबादी-ए-दिल और बताई हमने
  
 
दास्ताँ तेरी किसी को न सुनाई हमने
 
दास्ताँ तेरी किसी को न सुनाई हमने
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आग ख़ुद अपने नशेमन में लगाई हमने
 
आग ख़ुद अपने नशेमन में लगाई हमने
 
इश्तियाक़=शौक़;आगही जानकारी;नशे—मन घोंसला;तर्के—तअल्लुक़-=संबंधों का परित्याग;बह्रे—हस्ती=भवसागर;तलातुम =बाढ़
 
  
 
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आती हैं याद तेरी तल्लवुन मिज़ाजियाँ
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आती हैं याद तेरी तल्लवुन मिज़ाजियाँ<ref>बात से फिर जाना</ref>
  
 
करता है बात जब भी कोई ऐतबार की
 
करता है बात जब भी कोई ऐतबार की
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बस इतना है कि ये दिल बेक़रार रहता है
 
बस इतना है कि ये दिल बेक़रार रहता है
 
ज़ीस्त=ज़िन्दगी; तल्लवुन—मिज़ाजियाँ=बात से  फिर जाना
 
  
 
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हर तरफ़ हैं ख़ैमाज़न पत्थरों के सौदागर
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हर तरफ़ हैं ख़ैमाज़न<ref>डेरा डाले हुए</ref>  पत्थरों के सौदागर
  
 
दिल का आइना ले कर जाओगे किधर यारो
 
दिल का आइना ले कर जाओगे किधर यारो
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लग़ज़िशें साथ कहाँ तक देंगी
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लग़ज़िशें<ref>डगमगाहटें</ref>  साथ कहाँ तक देंगी
  
 
हम भी इक रोज़ सँभल जायेंगे  
 
हम भी इक रोज़ सँभल जायेंगे  
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परचों में आजकल की सियासत पे थे सवाल
 
परचों में आजकल की सियासत पे थे सवाल
  
हम हो सके न पास किओसी इम्तिहान में
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हम हो सके न पास किसी इम्तिहान में
  
 
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ऐ मसीहा नफ़स ! तिरे सदक़े
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ऐ मसीहा नफ़स<ref> जो हर बीमारी का इलाज कर सके, माशूक़ </ref>  ! तिरे सदक़े
  
 
हो सके तो मुझे भी अच्छा कर
 
हो सके तो मुझे भी अच्छा कर
 
ख़ैमाज़न= डेरा डाले हुए; लग़ज़िशें=लड़खड़ाहटें, डगमगाहटें, मसीहा नफ़स= जो हर बीमारी का इलाज कर सके,माशूक़.
 
 
   
 
   
 
 
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बेकैफ़—सी सौ सदियाँ उन लम्हों से कमतर हैं
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बे-कैफ़—सी <ref>बे-मज़ा </ref>  सौ सदियाँ उन लम्हों से कमतर हैं
  
 
वो लम्हे कि जो हमने इक साथ गुज़ारे हैं
 
वो लम्हे कि जो हमने इक साथ गुज़ारे हैं
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वो तुमतुराक़, वो सजधज, वो शान है कि जो थी
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वो तुमतुराक़<ref>धूमधाम्</ref>  , वो सजधज, वो शान है कि जो थी
  
 
हमारे दिल की वही      आनबान है कि जो थी
 
हमारे दिल की वही      आनबान है कि जो थी
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अपनी तकमील के लिए ऐ ‘शौक़’
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अपनी तकमील<ref>पूर्ति</ref> के लिए ऐ ‘शौक़’
  
 
रेज़ा—रेज़ा बिखरना पड़ता है
 
रेज़ा—रेज़ा बिखरना पड़ता है
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क्या शौख़ तमन्ना हो मुझे ख़ुल्दे —बरीं की
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क्या 'शौक़' तमन्ना हो मुझे ख़ुल्दे —बरीं<ref>स्वर्ग</ref> की
  
 
शिमला ही मिरा मेरे लिए ख़ुल्दे बरीं है.
 
शिमला ही मिरा मेरे लिए ख़ुल्दे बरीं है.
  
बेकैफ़=बेमज़ा;तुमतुराक़=धूमधाम;तकमील=पूर्ति;ख़ुल्दे—बरीं= स्वर्ग.
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07:51, 6 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

जी करता है जंगल के इक गोशे <ref>टुकड़े</ref>को आबाद करें

धूनी रमाएँ,चिलम भरें और भोलेनाथ को याद करें

~~

इक तिरी याद का आलम कि बदलता ही नहीं

वर्ना वक़्त आने पे हर चीज़ बदल जाती है

~~

रुक-सा गया है सिल्सिला-ए-नज़्मे-कायनात<ref>दुनिया के कामकाज का सिलसिला</ref>

थम-सी गई है गर्दिशे-दौराँ<ref>काल चक्र</ref> तिरे बग़ैर

~~

मत सोच कि आने में होगी तिरी रुस्वाई

यह देख तुझे दिल ने किस दिल से पुकारा है

~~

सोने लगता हूँ तो शानों <ref>काँधों</ref>को हिला देता है

नीम शब<ref>आधी रात</ref> को ये मुझे कौन सदा देता है

~~

आये थे तेरी बज़्म में किस इश्तियाक़<ref>शौक़</ref>से

किस बेदिली से हमको मगर लौटना पड़ा

~~

वो बेख़ुदी के लिए हो कि आगही के लिए

शराबे—ग़म तो ज़रूरी है ज़िन्दगी के लिए

~~

तुम्हीं ने तर्के—तअल्लुक़ <ref>सम्बन्ध परित्याग</ref>की ठान ली दिल में

तुम्हीं ने हाथ बढ़ाया था दोस्ती के लिए

~~

बहरे—हस्ती<ref> भवसागर</ref> से तलातुम<ref>बाढ़ </ref> से जो टकराते रहे

दर—हक़ीक़त राहते—साहिल<ref>किनारे पहुँचने का आराम</ref> वही पाते रहे

~~

वजहे—बरबादी-ए-दिल और बताई हमने

दास्ताँ तेरी किसी को न सुनाई हमने

~~

किससे ऐ ‘शौक़’ करें,अपनी तबाही का गिला

आग ख़ुद अपने नशेमन में लगाई हमने

~~

यह ज़ीस्त महब्बत में किस मोड़ पे ले आई

हम खुद ही तमाशा हैं और खुद ही तमाशाई

~~

दुश्मन वही निकले है जो अपना—सा लगे है

‘शौक़’ अब तो खरा सिक्का भी खोटा—सा लगे है

ऐ अजनबी! कुछ जान न पहचान है तुझ से

क्या जानिये क्यों फिर भी तू अपना—सा लगे है

~~

आती हैं याद तेरी तल्लवुन मिज़ाजियाँ<ref>बात से फिर जाना</ref>

करता है बात जब भी कोई ऐतबार की

हमने भी शौक़ उड़ाई थीं दामन की धज्जियाँ

हम पर भी मेह्र्बाँ थी कभी रुत बहार की

~~

सबब की पूछो तो ऐसा कोई सबब भी नहीं

बस इतना है कि ये दिल बेक़रार रहता है

~~

हर तरफ़ हैं ख़ैमाज़न<ref>डेरा डाले हुए</ref> पत्थरों के सौदागर

दिल का आइना ले कर जाओगे किधर यारो

~~

लग़ज़िशें<ref>डगमगाहटें</ref> साथ कहाँ तक देंगी

हम भी इक रोज़ सँभल जायेंगे

~~

दिन गुज़रता है मिरा बुझ—बुझ कर

शाम को ख़ूब जगमगाता हूँ

~~

परचों में आजकल की सियासत पे थे सवाल

हम हो सके न पास किसी इम्तिहान में

~~

ऐ मसीहा नफ़स<ref> जो हर बीमारी का इलाज कर सके, माशूक़ </ref>  ! तिरे सदक़े

हो सके तो मुझे भी अच्छा कर

~~

बे-कैफ़—सी <ref>बे-मज़ा </ref> सौ सदियाँ उन लम्हों से कमतर हैं

वो लम्हे कि जो हमने इक साथ गुज़ारे हैं

~~

वो तुमतुराक़<ref>धूमधाम्</ref> , वो सजधज, वो शान है कि जो थी

हमारे दिल की वही आनबान है कि जो थी

~~

अपनी तकमील<ref>पूर्ति</ref> के लिए ऐ ‘शौक़’

रेज़ा—रेज़ा बिखरना पड़ता है

~~

क्या 'शौक़' तमन्ना हो मुझे ख़ुल्दे —बरीं<ref>स्वर्ग</ref> की

शिमला ही मिरा मेरे लिए ख़ुल्दे बरीं है.


शब्दार्थ
<references/>