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"हमसे हर मौसम सीधा टकराता है / प्रफुल्ल कुमार परवेज़" के अवतरणों में अंतर
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हमसे हर मौसम सीधा टकराता है | हमसे हर मौसम सीधा टकराता है | ||
संसद केवल फटा हुआ इक छाता है | संसद केवल फटा हुआ इक छाता है | ||
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प्रजातंत्र से जनता का क्या नाता है | प्रजातंत्र से जनता का क्या नाता है | ||
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बाप मगर घर जाने से कतराता है | बाप मगर घर जाने से कतराता है | ||
11:10, 28 सितम्बर 2008 के समय का अवतरण
हमसे हर मौसम सीधा टकराता है
संसद केवल फटा हुआ इक छाता है
भूख अगर गूँगेपन तक ले जाए तो
आज़ादी का क्या मतलब रह जाता है
लेकिन अब यह प्रश्न अनुत्तरित नहीं रहा
प्रजातंत्र से जनता का क्या नाता है
बीवी है बीमार , सभी बच्चे भूखे
बाप मगर घर जाने से कतराता है
परम्पराएँ अंदर तक हिल जाती हैं
सन्नाटे में जब कोई चिल्लाता है
क्यूँ न वह प्रतिरोध करे सच्चाई का
अपने खोटे सिक्के जो भुनवाता है.