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"अँजुरी भर फूल / अजित कुमार" के अवतरणों में अंतर

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वे होंगे कुछ;
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तुमने देखे केवल—
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अँजुरी भर फूल ।
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तुम कितनी अविदित हो,
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अँजुरी भर फूल ।
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मन तो कुटिल है, और
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तन । कितना दूषित है;
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तुमको समर्पित ये—
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अँजुरी भर फूल ।
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21:01, 1 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

अँजुरी भर फूल

मुझमें जो भाव उगे-उमड़े,
वे होंगे कुछ;
तुमने देखे केवल—
अँजुरी भर फूल ।

तुम कितनी अविदित हो,
मैं कैसा अस्थिर हूँ;
निश्चित हैं केवल ये—
अँजुरी भर फूल ।
मन तो कुटिल है, और
तन । कितना दूषित है;
तुमको समर्पित ये—
अँजुरी भर फूल ।