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"हाइकु / रचना श्रीवास्तव / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर

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धूमिल हुई सोच
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चौक बुजे गि
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मलासदी ब्वे
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गाँदि च लोरी
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एक और सैनिक
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सीली सी हवा
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ह्वेगी सहीद
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रे एक हौर फौजी
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दबाकर  सवेरा
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बिंस्री प्वथली
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प्रतीक्षा में माँ
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नौना कु कोट
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सदानी घाम धार्दी
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जग्वाळ माँ ब्वे
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वर्षा पहने
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बूँदों- सजा लहँगा
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मटक चले
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बर्खा पैरदी
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बुन्दुन सजीं घाग्री
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मटकी चली
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तपती धरा
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बूँदों का मरहम
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बरखा वैद्य
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तपदी पिर्थी
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बुन्दु कु मल्लम
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बर्खा बैद च
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बो दी है भोर
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चौक माँ कैन जि यु
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स्वीणा जमिन
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हुआ शहीद
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चुभीं चूड़ियाँ पाँव
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टूटी जो कल
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ह्वे गे सहीद
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चुभिन चूड़ी खुट्यों
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टुटी जु ब्याळी
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20:20, 3 मई 2021 के समय का अवतरण

1
हुआ मोतिया
धूमिल हुई सोच
दिखे न देश

मोत्याबिंद ह्वे
धुमली ह्वे सोच बि
नि दिखे देस
2
रुकी जो साँसें
घायल था पर्वत
आँगन बुझा

रुकि जु साँस
घैल छौ पाड़ बि उ
चौक बुजे गि
3
बूढ़ा पीपल
जाग रहा घर में
सीमा पे लाल

बुड्या पिफळ
बिज्यूँ राई घौर माँ
सीमा माँ लाल
4
सहलाती माँ
गोद में रख वर्दी
गाती है लोरी

मलासदी ब्वे
खुख्ला माँ धारी बर्दी
गाँदि च लोरी
5
हुआ शहीद
एक और सैनिक
सीली सी हवा

ह्वेगी सहीद
रे एक हौर फौजी
सिलीं सी हवा
6
चोंच में चली
दबाकर सवेरा
भोर- चिड़िया

चोंच माँ चली
दबैक सुबेर सी
बिंस्री प्वथली
7
आँसू से लिखी
वो चिट्ठी जब खोली
भीगी हथेली

आँसुन लेखी
वा चिठ्ठी जब खोली
भिजीं हथ्गुळी
8
बेटे का कोट
रोज़ धूप दिखाती
प्रतीक्षा में माँ

नौना कु कोट
सदानी घाम धार्दी
जग्वाळ माँ ब्वे
9
वर्षा पहने
बूँदों- सजा लहँगा
मटक चले

बर्खा पैरदी
बुन्दुन सजीं घाग्री
मटकी चली
10
तपती धरा
बूँदों का मरहम
बरखा वैद्य

तपदी पिर्थी
बुन्दु कु मल्लम
बर्खा बैद च
11
बो दी है भोर
आँगन में किसने !
सपने उगे

ब्वैली बिंसरी
चौक माँ कैन जि यु
स्वीणा जमिन
12
हुआ शहीद
चुभीं चूड़ियाँ पाँव
टूटी जो कल

ह्वे गे सहीद
चुभिन चूड़ी खुट्यों
टुटी जु ब्याळी
-0-