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"उजाला तुम्हीं / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
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+ | किसकी है प्रतीक्षा | ||
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+ | सूना है पथ | ||
+ | खंडित मनोरथ | ||
+ | आ भी तो जाओ! | ||
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+ | पत्ते खड़के | ||
+ | हवा का झोंका बन | ||
+ | क्या तुम आए? | ||
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+ | धरा -सा मन | ||
+ | उद्ग्रीव हो तकता | ||
+ | बाट तुम्हारी। | ||
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23:21, 24 जून 2021 के समय का अवतरण
1
मैं सिर्फ दीप
तुम्हीं बाती व नेह
उजाला तुम्हीं।
2( 23-6-21)
1
युगों- युगों से
किसकी है प्रतीक्षा
व्यथित मन!
2
सूना है पथ
खंडित मनोरथ
आ भी तो जाओ!
3
पत्ते खड़के
हवा का झोंका बन
क्या तुम आए?
4
धरा -सा मन
उद्ग्रीव हो तकता
बाट तुम्हारी।