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मिट्टी का अनुराग (कविता) / सुभाष काक
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05:48, 14 नवम्बर 2013
|रचनाकार=सुभाष काक
|संग्रह=मिट्टी का अनुराग / सुभाष काक
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<poem>
देश प्रेम कहां से उभरता है?
हमारे कूचे कीचड वाले थे
मैंने देश की
मिट्टी खाई।
यह देश मोह नहीं
मिट्टी का अनुराग है।
</poem>
Lalit Kumar
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