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|रचनाकार=सुभाष काक
|संग्रह=मिट्टी का अनुराग / सुभाष काक
}}{{KKCatKavita}}<poem>
देश प्रेम कहां से उभरता है?
हमारे कूचे कीचड वाले थे
मैंने देश की
मिट्‍टी खाई।
 
यह देश मोह नहीं
मिट्‍टी का अनुराग है।
</poem>