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"मुक्तियाँ / लिली मित्रा" के अवतरणों में अंतर

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मैं बहुत संतुष्ट हूँ अपनी इन 'मुक्तियों' से
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मेरा आकाश तैयार हो रहा है शायद।
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04:59, 19 नवम्बर 2022 के समय का अवतरण


एक बात कहूँ-
मैं आजकल सब भूल जाती हूँ
दिन भूल जाती हूँ
तारीखें भूल जाती हूँ
घटनाएँ भूल जाती हूँ
यहाँ तक कि-
कुछ सोचते हुए अपने ही विचारों
के क्रम भूल जाती हूँ,

कहते-कहते किसी बात को,
उसके कहने का प्रयोजन भी
भूल जाती हूँ
और सच कहूँ तो-
मैं बहुत संतुष्ट हूँ अपनी इन 'मुक्तियों' से

उन्मुक्ति की ओर बढ़ते
मेरे कदम
मानों 'परों' में तब्दील
होते महसूस हो रहे
मेरा आकाश तैयार हो रहा है शायद।
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