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"नखशिख वर्णन नहीं / नासिर अहमद सिकंदर" के अवतरणों में अंतर

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मर्दाना।
 
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12:22, 11 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण

उसका चेहरा गोल
आँखें सीपियाँ
नावनुमा भौंहें
होंठ लिपस्टिक बिन लाल
नाक
दूर से देखी पहाड़ी का उभरा कोना

यह कविता में--
नखशिख वर्णन नहीं
उसके गाल जिसमें तिल भी एक
जिसे दरबान बताते शायर
आज जब वह सुबह-सुबह आई आफ़िस
उस पर निशान उंगलियों के
मर्दाना।