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जैसे जल | जैसे जल | ||
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जैसे नववधू, प्रिय के- | जैसे नववधू, प्रिय के- | ||
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हाथ में कोमल कलाई दे। | हाथ में कोमल कलाई दे। | ||
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याद इन सबको | याद इन सबको | ||
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आँख | आँख | ||
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याद को अब क्या लिखाई दे। | याद को अब क्या लिखाई दे। | ||
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14:07, 10 मई 2009 के समय का अवतरण
घर
कि जैसे बाँसुरी का स्वर
दूर रह कर भी सुनाई दे।
बंद आँखों से दिखाई दे।
दो तटों के बीच
जैसे जल
छलछलाते हैं
विरह के पल
याद
जैसे नववधू, प्रिय के-
हाथ में कोमल कलाई दे।
कक्ष, आंगन, द्वार
नन्हीं छत
याद इन सबको
लिखेगी ख़त
आँख
अपने अश्रु से ज़्यादा
याद को अब क्या लिखाई दे।