भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दिन / ओमप्रकाश सारस्वत" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=ओमप्रकाश सारस्वत | |रचनाकार=ओमप्रकाश सारस्वत | ||
− | |संग्रह=दिन गुलाब होने दो / | + | |संग्रह=दिन गुलाब होने दो / ओमप्रकाश सारस्वत |
− | }} | + | }}{{KKCatKavita}} |
− | + | <poem> | |
− | < | + | |
'''दिन''' | '''दिन''' | ||
लिख रहे हैं धुंध | लिख रहे हैं धुंध |
12:58, 20 जून 2020 के समय का अवतरण
दिन
लिख रहे हैं धुंध
कुंद हो रहा उजास
आस क्या करे?
पहाड़
पढ़ रहे हैं बर्फ
सर्द पड़ी रही उमंग
रंग क्या करे?
सूर्य
दे रहा दग़ा
जगा न भोर का हुलास
हास क्या करे?
रक्त
रेत पर लुटा
उगा न गंध न पराग
राग क्या करे?
धूप
बादलों में रोए
ढोए मिन्नतें हज़ार
प्यार क्या करे?