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मधुरिमा के, मधु के अवतार
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सुधा से, सुषमा से, छविमान,
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आंसुओं में सहमे अभिराम
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तारकों से हे मूक अजान!
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सीख कर मुस्काने की बान
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कहां आऎ हो कोमल प्राण!
  
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स्निग्ध रजनी से लेकर हास
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रूप से भर कर सारे अंग,
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नये पल्लव का घूंघट डाल
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अछूता ले अपना मकरंद,
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ढूढं पाया कैसे यह देश?
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स्वर्ग के हे मोहक संदेश!
  
मधुरिम के मधु के अवतार<br>
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रजत किरणों से नैन पखार
सुधा से सुषमा से छविमान<br>
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अनोखा ले सौरभ का भार,
आंसुओं में सहमे अभिराम<br>
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छ्लकता लेकर मधु का कोष
तारकों से हे मूक अजान!<br>
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चले आऎ एकाकी पार;
सीख कर मुस्काने की बान<br>
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कहो क्या आऎ हो पथ भूल?
कहां आऎ हो कोमल प्राण!<br><br>
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मंजु छोटे मुस्काते फूल!
  
स्निग्ध रजनी से लेकर हास<br>
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उषा के छू आरक्त कपोल
रूप से भर कर सारे अंग<br>
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किलक पडता तेरा उन्माद,
नये पल्लव का घूंघट डाल<br>
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देख तारों के बुझते प्राण
अछूता ले अपना मकरंद<br>
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न जाने क्या आ जाता याद?
ढूढं पाया कैसे यह देश<br>
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हेरती है सौरभ की हाट
स्वर्ग के हे मोहक संदेश!<br><br>
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कहो किस निर्मोही की बाट?
  
रजत किरणों से नैन पखार<br>
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चांदनी का श्रृंगार समेट
अनोखा ले सौरभ का भार<br>
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अधखुली आंखों की यह कोर,
छ्लकता लेकर मधु का कोष<br>
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लुटा अपना यौवन अनमोल
चले आऎ एकाकी पार<br>
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ताकती किस अतीत की ओर?
कहो क्या आऎ हो पथ भूल<br>
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जानते हो यह अभिनव प्यार
मंजु छोटे मुस्काते फूल!<br><br>
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किसी दिन होगा कारगार?
  
उषा के छू आरक्त कपोल<br>
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कौन है वह सम्मोहन राग
किलक पडता तेरा उन्माद<br>
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खींच लाया तुमको सुकुमार?
देख तारों के बुझते प्राण<br>
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तुम्हें भेजा जिसने इस देश
न जाने क्या आ जाता याद<br>
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कौन वह है निष्ठुर करतार?
हेरती है सौरभ की हाट<br>
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हंसो पहनो कांटों के हार
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मधुर भोलेपन का संसार!
 
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चांदनी का श्रंगार समेट<br>
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अधखुली आंखों की यह कोर<br>
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लुटा अपना यौवन अनमोल<br>
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जानते हो यह अभिनव प्यार<br>
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कौन है वह सम्मोहन राग<br>
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कौन वह है निष्ठुर करतार<br>
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मधुर भोलेपन का संसार!<br><br>
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02:32, 23 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

मधुरिमा के, मधु के अवतार
सुधा से, सुषमा से, छविमान,
आंसुओं में सहमे अभिराम
तारकों से हे मूक अजान!
सीख कर मुस्काने की बान
कहां आऎ हो कोमल प्राण!

स्निग्ध रजनी से लेकर हास
रूप से भर कर सारे अंग,
नये पल्लव का घूंघट डाल
अछूता ले अपना मकरंद,
ढूढं पाया कैसे यह देश?
स्वर्ग के हे मोहक संदेश!

रजत किरणों से नैन पखार
अनोखा ले सौरभ का भार,
छ्लकता लेकर मधु का कोष
चले आऎ एकाकी पार;
कहो क्या आऎ हो पथ भूल?
मंजु छोटे मुस्काते फूल!

उषा के छू आरक्त कपोल
किलक पडता तेरा उन्माद,
देख तारों के बुझते प्राण
न जाने क्या आ जाता याद?
हेरती है सौरभ की हाट
कहो किस निर्मोही की बाट?

चांदनी का श्रृंगार समेट
अधखुली आंखों की यह कोर,
लुटा अपना यौवन अनमोल
ताकती किस अतीत की ओर?
जानते हो यह अभिनव प्यार
किसी दिन होगा कारगार?

कौन है वह सम्मोहन राग
खींच लाया तुमको सुकुमार?
तुम्हें भेजा जिसने इस देश
कौन वह है निष्ठुर करतार?
हंसो पहनो कांटों के हार
मधुर भोलेपन का संसार!