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"आशिक़ तो नामुराद हैं पर इस क़दर कि हम / सौदा" के अवतरणों में अंतर

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कहता था कल किसू से करूँगा किसी को क़त्ल
 
कहता था कल किसू से करूँगा किसी को क़त्ल
इतना तो कुश्तनी1 नहीं कोई मगर कि हम
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इतना तो कुश्तनी<ref>मारने योग्य</ref> नहीं कोई मगर कि हम
  
देखें तो किसकी चश्म2 से गिरता है लख़्ते-दिल3
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देखें तो किसकी चश्म<ref>आँख </ref> से गिरता है लख़्ते-दिल<ref>दिल का टुकड़ा</ref>
तू इस तरह से रो सके ऐ अब्रे-तर4 कि हम
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तू इस तरह से रो सके ऐ अब्रे-तर<ref>भीगा बादल </ref> कि हम
  
 
बैठा न कोई छाँव, न पाया किसी ने फल
 
बैठा न कोई छाँव, न पाया किसी ने फल
बे-बर्गो-बर5 नहीं कोई ऐसा शजर6 कि हम
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बे-बर्गो-बर<ref>पत्तों और फलों से रहित</ref> नहीं कोई ऐसा शजर<ref>पेड़</ref> कि हम
  
क़ासिद7 के साथ चलते हैं यूँ कहके मेरे अश्क
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क़ासिद<ref>संदेशवाहक</ref> के साथ चलते हैं यूँ कहके मेरे अश्क
देखें तो पहले तू पहुँचे है तू नामाबर8 कि हम
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देखें तो पहले तू पहुँचे है तू नामाबर<ref>पत्रवाहक</ref> कि हम
  
इतना कहाँ है सोज़तलब9 दिल पतंग10 का
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इतना कहाँ है सोज़तलब<ref>आग का इच्छुक</ref> दिल पतंग<ref>पतंगा</ref>का
 
रखती नहीं है शमा भी ऐसा जिगर कि हम
 
रखती नहीं है शमा भी ऐसा जिगर कि हम
  
 
'सौदा' न कहते थे कि किसी को तू दिल न दे
 
'सौदा' न कहते थे कि किसी को तू दिल न दे
रुसवा11 हुआ फिरे है तू अब दर-ब-दर कि हम
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रुसवा<ref>बदनाम</ref> हुआ फिरे है तू अब दर-ब-दर कि हम
  
 
'''शब्दार्थ:
 
'''शब्दार्थ:
  
1. मारने योग्य 2. आँख 3. दिल का टुकड़ा 4. भीगा बादल 5. पत्तों और फलों से रहित 6. पेड़ 7. संदेशवाहक 8. पत्रवाहक 9. आग का इच्छुक 10. पतंगा 11. बदनाम
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18:20, 15 मई 2009 के समय का अवतरण

आशिक़ तो नामुराद हैं पर इस क़दर कि हम
दिल को गवाँ के बैठे रहे सब्र करके हम

कहता था कल किसू से करूँगा किसी को क़त्ल
इतना तो कुश्तनी<ref>मारने योग्य</ref> नहीं कोई मगर कि हम

देखें तो किसकी चश्म<ref>आँख </ref> से गिरता है लख़्ते-दिल<ref>दिल का टुकड़ा</ref>
तू इस तरह से रो सके ऐ अब्रे-तर<ref>भीगा बादल </ref> कि हम

बैठा न कोई छाँव, न पाया किसी ने फल
बे-बर्गो-बर<ref>पत्तों और फलों से रहित</ref> नहीं कोई ऐसा शजर<ref>पेड़</ref> कि हम

क़ासिद<ref>संदेशवाहक</ref> के साथ चलते हैं यूँ कहके मेरे अश्क
देखें तो पहले तू पहुँचे है तू नामाबर<ref>पत्रवाहक</ref> कि हम

इतना कहाँ है सोज़तलब<ref>आग का इच्छुक</ref> दिल पतंग<ref>पतंगा</ref>का
रखती नहीं है शमा भी ऐसा जिगर कि हम

'सौदा' न कहते थे कि किसी को तू दिल न दे
रुसवा<ref>बदनाम</ref> हुआ फिरे है तू अब दर-ब-दर कि हम

शब्दार्थ:

शब्दार्थ
<references/>