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"तुम्हारे शहर की बस / नवनीत शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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यह बस तुम्हारे शहर से आई है | यह बस तुम्हारे शहर से आई है |
23:54, 6 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण
यह बस तुम्हारे शहर से आई है
ड्राइवर के माथे पर
पहुँचने की खुशी
थके हुए इंजन की आवाज
धूल से आंख मलते
खिड़कियों के शीशे
सबने यही कहा
दूर बहुत ही दूर है तुम्हारा शहर
यह बस देखती है
तुम्हारे शहर का सवेरा
मेरे गाँव की साँझ
सवाल पूछता है मन
क्या तुम्हारा शहर भी उदास होता है
जब कभी पहुँचती है
मेरे गाँव का सवेरा लेकर
तुम्हारे शहर की शाम में कोई बस
थकी-माँदी।