Last modified on 21 सितम्बर 2009, at 02:24

"उत्तर / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर

 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
लेखिका: [[महादेवी वर्मा]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कविताएँ]]
+
{{KKRachna
[[Category:महादेवी वर्मा]]
+
|रचनाकार=महादेवी वर्मा
 +
|संग्रह=नीहार / महादेवी वर्मा
 +
}}
 +
<poem>
 +
इस एक बूँद आँसू में
 +
चाहे साम्राज्य बहा दो,
 +
वरदानों की वर्षा से
 +
यह सूनापन बिखरा दो;
  
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
इच्छा‌ओं की कम्पन से
 +
सोता एकान्त जगा दो,
 +
आशा की मुस्काहट पर
 +
मेरा नैराश्य लुटा दो ।
  
इस एक बूँद आँसू में<br>
+
चाहे जर्जर तारों में
चाहे साम्राज्य बहा दो<br>
+
अपना मानस उलझा दो,
वरदानों की वर्षा से<br>
+
इन पलकों के प्यालो में
यह सूनापन बिखरा दो<br><br>
+
सुख का आसव छलका दो;
  
इच्छा‌ओं की कम्पन से<br>
+
मेरे बिखरे प्राणों में
सोता एकान्त जगा दो,<br>
+
सारी करुणा ढुलका दो,
आशा की मुस्कराहट पर<br>
+
मेरी छोटी सीमा में
मेरा नैराश्य लुटा दो ।<br><br>
+
अपना अस्तित्व मिटा दो!
  
चाहे जर्जर तारों में<br>
+
पर शेष नहीं होगी यह
अपना मानस उलझा दो,<br>
+
मेरे प्राणों की क्रीड़ा,
इन पलकों के प्यालो में<br>
+
तुमको पीड़ा में ढूँढा
सुख का आसव छलका दो<br><br>
+
तुम में ढूँढूँगी पीड़ा!
  
मेरे बिखरे प्राणों में<br>
+
</poem>
सारी करुणा ढुलका दो,<br>
+
मेरी छोटी सीमा में<br>
+
अपना अस्तित्व मिटा दो !<br><br>
+
 
+
पर शेष नहीं होगी यह<br>
+
मेरे प्राणों की क्रीड़ा,<br>
+
तुमको पीड़ा में ढूँढा<br>
+
तुम में ढूँढूँगी पीड़ा !<br><br>
+

02:24, 21 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

इस एक बूँद आँसू में
चाहे साम्राज्य बहा दो,
वरदानों की वर्षा से
यह सूनापन बिखरा दो;

इच्छा‌ओं की कम्पन से
सोता एकान्त जगा दो,
आशा की मुस्काहट पर
मेरा नैराश्य लुटा दो ।

चाहे जर्जर तारों में
अपना मानस उलझा दो,
इन पलकों के प्यालो में
सुख का आसव छलका दो;

मेरे बिखरे प्राणों में
सारी करुणा ढुलका दो,
मेरी छोटी सीमा में
अपना अस्तित्व मिटा दो!

पर शेष नहीं होगी यह
मेरे प्राणों की क्रीड़ा,
तुमको पीड़ा में ढूँढा
तुम में ढूँढूँगी पीड़ा!