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"अभी इस तरफ़ न निगाह कर / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर
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− | अभी इस तरफ़ न निगाह कर मैं ग़ज़ल | + | अभी इस तरफ़ न निगाह कर मैं ग़ज़ल की पलकें सँवार लूँ |
− | मेरा लफ़्ज़ लफ़्ज़ हो आईना तुझे आईने में उतार लूँ | + | मेरा लफ़्ज़-लफ़्ज़ हो आईना तुझे आईने में उतार लूँ |
− | मैं तमाम दिन का थका हुआ तू तमाम शब का जगा हुआ | + | मैं तमाम दिन का थका हुआ, तू तमाम शब का जगा हुआ |
− | ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ | + | ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर, तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ |
− | अगर आसमाँ की नुमाइशों में मुझे भी इज़्न-ए-क़याम हो | + | अगर आसमाँ की नुमाइशों में मुझे भी इज़्न-ए-क़याम<ref>रुकने की इज़ाज़त</ref> हो |
तो मैं मोतियों की दुकान से तेरी बालियाँ तेरे हार लूँ | तो मैं मोतियों की दुकान से तेरी बालियाँ तेरे हार लूँ | ||
कई अजनबी तेरी राह के मेरे पास से यूँ गुज़र गये | कई अजनबी तेरी राह के मेरे पास से यूँ गुज़र गये | ||
जिन्हें देख कर ये तड़प हुई तेरा नाम लेके पुकार लूँ | जिन्हें देख कर ये तड़प हुई तेरा नाम लेके पुकार लूँ | ||
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20:06, 4 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
अभी इस तरफ़ न निगाह कर मैं ग़ज़ल की पलकें सँवार लूँ
मेरा लफ़्ज़-लफ़्ज़ हो आईना तुझे आईने में उतार लूँ
मैं तमाम दिन का थका हुआ, तू तमाम शब का जगा हुआ
ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर, तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ
अगर आसमाँ की नुमाइशों में मुझे भी इज़्न-ए-क़याम<ref>रुकने की इज़ाज़त</ref> हो
तो मैं मोतियों की दुकान से तेरी बालियाँ तेरे हार लूँ
कई अजनबी तेरी राह के मेरे पास से यूँ गुज़र गये
जिन्हें देख कर ये तड़प हुई तेरा नाम लेके पुकार लूँ
शब्दार्थ
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