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<div class='boxheader' style='background-color:#DD5511; color:#ffffff'>'''&nbsp;सप्ताह की कविता'''</div>
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&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक:'''जिसकी हममें कमी है, दोस्तो!<br>
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&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[आंद्री पिअर]] (स्विस कवि)
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जिसकी हममें कमी है, दोस्तो!
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वह है साहस
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उस समय बोलने का साहस
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जब शब्द जल रहे हों;
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
पत्थर को पत्थर कहने का
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ख़ून को ख़ून
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और डर को डर
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एक दिन, जब वह बड़ी बर्फ़ आएगी
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<div style="text-align: center;">
हहराती हुई
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
तब कठिन होगा
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ख़ुद को समझ पाना
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अनुवाद : विष्णु खरे
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
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अपरिचित पास आओ
  
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आँखों में सशंक जिज्ञासा
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मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
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जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
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स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
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हिलो-मिलो फिर एक डाल के
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खिलो फूल-से, मत अलगाओ
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सबमें अपनेपन की माया
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अपने पन में जीवन आया
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया