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"सोनी गढ़ को खड़को / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर
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वातो हार की छोलना उबरी बाई | वातो हार की छोलना उबरी बाई | ||
सोधरा बाई हो तिलक लिलाड़ म्हारे गोर कसुम्बो रुदियो | सोधरा बाई हो तिलक लिलाड़ म्हारे गोर कसुम्बो रुदियो | ||
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07:18, 9 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
सोनी गढ़ को खड़को म्हे सुन्यो सोना घड़े रे सुनार
म्हारी गार कसुम्बो रुदियो
सोनी धड़जे ईश्वरजी रो मुदड़ो,
वांकी राण्या रो नवसर्यो हार म्हांरी गोरल कसुम्बो रुदियो
वातो हार की छोलना उबरी बाई
सोधरा बाई हो तिलक लिलाड़ म्हारे गोर कसुम्बो रुदियो