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<div class='boxheader' style='background-color:#DD5511; color:#ffffff'>'''&nbsp;सप्ताह की कविता'''</div>
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&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक: '''अब देखिये न मेरी कारगुज़ारी<br>
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&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[अज्ञेय]]
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अब देखिये न मेरी कारगुज़ारी
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कि मैं मँगनी के घोड़े पर
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सवारी पर
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ठाकुर साहब के लिए उन की रियाया से लगान
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और सेठ साहब के लिए पंसार-हट्टे की हर दुकान
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से किराया
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वसूल कर लाया हूँ ।
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थैली वाले को थैली
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तोड़े वाले को तोड़ा
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-और घोड़े वाले को घोड़ा
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सब को सब का लौटा दिया
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अब मेरे पास यह घमंड है
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कि सारा समाज मेरा एहसानमन्द है ।
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
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अपरिचित पास आओ
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आँखों में सशंक जिज्ञासा
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मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
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जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
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स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
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हिलो-मिलो फिर एक डाल के
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खिलो फूल-से, मत अलगाओ
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सबमें अपनेपन की माया
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अपने पन में जीवन आया
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया