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"आरती युगलकिशोर की कीजै / आरती" के अवतरणों में अंतर

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आरती युगलकिशोर की कीजै। तन मन न्यौछावर कीजै॥टेक॥
 
आरती युगलकिशोर की कीजै। तन मन न्यौछावर कीजै॥टेक॥
 
गौरश्याम मुख निरखत लीजै। हरि का स्वरूप नयन भरि पीजै॥
 
गौरश्याम मुख निरखत लीजै। हरि का स्वरूप नयन भरि पीजै॥
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श्री पुरुषोत्तम गिरिवर धारी। आरती करें सकल ब्रज नारी॥
 
श्री पुरुषोत्तम गिरिवर धारी। आरती करें सकल ब्रज नारी॥
 
नन्दनन्दन बृजभानु किशोरी। परमानन्द स्वामी अविचल जोरी॥
 
नन्दनन्दन बृजभानु किशोरी। परमानन्द स्वामी अविचल जोरी॥
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15:21, 30 मई 2014 के समय का अवतरण

अष्टक   ♦   आरतियाँ   ♦   चालीसा   ♦   भजन   ♦   प्रार्थनाएँ   ♦   श्लोक

  
आरती युगलकिशोर की कीजै। तन मन न्यौछावर कीजै॥टेक॥
गौरश्याम मुख निरखत लीजै। हरि का स्वरूप नयन भरि पीजै॥
रवि शशि कोटि बदन की शोभा। ताहि निरखि मेरे मन लोभा॥
ओढ़े नील पीत पट सारी। कुंजबिहारी गिरिवरधारी॥
फूलन की सेज फूलन की माला। रत्‍न सिंहासन बैठे नन्दलाला॥
मोरमुकुट कर मुरली सोहै। नटवर कला देखि मन मोहै॥
कंचनथार कपूर की बाती। हरि आए निर्मल भई छाती॥
श्री पुरुषोत्तम गिरिवर धारी। आरती करें सकल ब्रज नारी॥
नन्दनन्दन बृजभानु किशोरी। परमानन्द स्वामी अविचल जोरी॥