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"आरती श्री वृषभानुसुता की / आरती" के अवतरणों में अंतर

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आरती श्री वृषभानुसुता की।<BR>मन्जु मूर्ति मोहन ममता की। आरती ..<BR>त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि,<BR>विमल विवेक विराग विकासिनि,<BR>पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि,<BR>सुन्दरतम छवि सुन्दतरा की॥ आरती ..<BR>मुनि मनमोहन मोहन मोहनि,<BR>मधुर मनोहर मूरति सोहनि,<BR>अविरल प्रेम अमित रस दोहनि,<BR>प्रिय अति सदा सखी ललिता की॥ आरती ..<BR>संतत सेव्य संत मुनिजन की,<BR>आकर अमित दिव्यगुन गन की,<BR>आकर्षिणी कृष्ण तन मन की,<BR>अति अमूल्य सम्पति समता की॥ आरती ..<BR>कृष्णात्मिका, कृष्ण सहचारिणि,<BR>चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि,<BR>जगजननि जग दु:ख निवारिणि,<BR>आदि अनादि शक्ति विभुता की॥ आरती ..
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आरती श्री वृषभानुसुता की।
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मन्जु मूर्ति मोहन ममता की। आरती...
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त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि,
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विमल विवेक विराग विकासिनि,
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पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि,
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सुन्दरतम छवि सुन्दतरा की॥ आरती...
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मुनि मनमोहन मोहन मोहनि,
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मधुर मनोहर मूरति सोहनि,
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अविरल प्रेम अमित रस दोहनि,
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प्रिय अति सदा सखी ललिता की॥ आरती...
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संतत सेव्य संत मुनिजन की,
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आकर अमित दिव्यगुन गन की,
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आकर्षिणी कृष्ण तन मन की,
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अति अमूल्य सम्पति समता की॥ आरती...
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कृष्णात्मिका, कृष्ण सहचारिणि,
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चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि,
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जगजननि जग दु:ख निवारिणि,
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आदि अनादि शक्ति विभुता की॥ आरती...
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16:18, 30 मई 2014 के समय का अवतरण

अष्टक   ♦   आरतियाँ   ♦   चालीसा   ♦   भजन   ♦   प्रार्थनाएँ   ♦   श्लोक

   
आरती श्री वृषभानुसुता की।
मन्जु मूर्ति मोहन ममता की। आरती...
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि,
विमल विवेक विराग विकासिनि,
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि,
सुन्दरतम छवि सुन्दतरा की॥ आरती...
मुनि मनमोहन मोहन मोहनि,
मधुर मनोहर मूरति सोहनि,
अविरल प्रेम अमित रस दोहनि,
प्रिय अति सदा सखी ललिता की॥ आरती...
संतत सेव्य संत मुनिजन की,
आकर अमित दिव्यगुन गन की,
आकर्षिणी कृष्ण तन मन की,
अति अमूल्य सम्पति समता की॥ आरती...
कृष्णात्मिका, कृष्ण सहचारिणि,
चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि,
जगजननि जग दु:ख निवारिणि,
आदि अनादि शक्ति विभुता की॥ आरती...