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"अबकी बार लौटा तो / कुंवर नारायण" के अवतरणों में अंतर
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अबकी बार लौटा तो | अबकी बार लौटा तो | ||
− | + | बृहत्तर लौटूंगा | |
− | बृहत्तर | + | चेहरे पर लगाए नोकदार मूँछें नहीं |
− | + | कमर में बांधें लोहे की पूँछे नहीं | |
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− | + | तरेर कर न देखूंगा उन्हें | |
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भूखी शेर-आँखों से | भूखी शेर-आँखों से | ||
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अबकी बार लौटा तो | अबकी बार लौटा तो | ||
− | + | मनुष्यतर लौटूंगा | |
− | मनुष्यतर | + | |
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घर से निकलते | घर से निकलते | ||
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सड़को पर चलते | सड़को पर चलते | ||
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बसों पर चढ़ते | बसों पर चढ़ते | ||
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ट्रेनें पकड़ते | ट्रेनें पकड़ते | ||
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जगह बेजगह कुचला पड़ा | जगह बेजगह कुचला पड़ा | ||
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पिद्दी-सा जानवर नहीं | पिद्दी-सा जानवर नहीं | ||
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अगर बचा रहा तो | अगर बचा रहा तो | ||
− | + | कृतज्ञतर लौटूंगा | |
− | कृतज्ञतर | + | |
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अबकी बार लौटा तो | अबकी बार लौटा तो | ||
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हताहत नहीं | हताहत नहीं | ||
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सबके हिताहित को सोचता | सबके हिताहित को सोचता | ||
− | + | पूर्णतर लौटूंगा | |
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15:57, 4 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
अबकी बार लौटा तो
बृहत्तर लौटूंगा
चेहरे पर लगाए नोकदार मूँछें नहीं
कमर में बांधें लोहे की पूँछे नहीं
जगह दूंगा साथ चल रहे लोगों को
तरेर कर न देखूंगा उन्हें
भूखी शेर-आँखों से
अबकी बार लौटा तो
मनुष्यतर लौटूंगा
घर से निकलते
सड़को पर चलते
बसों पर चढ़ते
ट्रेनें पकड़ते
जगह बेजगह कुचला पड़ा
पिद्दी-सा जानवर नहीं
अगर बचा रहा तो
कृतज्ञतर लौटूंगा
अबकी बार लौटा तो
हताहत नहीं
सबके हिताहित को सोचता
पूर्णतर लौटूंगा